भीमा कोरेगांव हिंसा मामला: जांच टीम ने कहा- सुनियोजित थी हिंसा, सूचना के बावजूद पुलिसिया कार्यवाही में हुई देरी
भीमा कोरेगांव हिंसा (Photo Credits: PTI)

मुंबई: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. खबरों की माने तो हिंसा से पहले केरोसिन से भरे टैंकर गांव में लाए गए थे. इसके अलावा कई तलवारें और लाठियां भी लाई गई थी. इस मामले में कोल्हापुर रेंज के आईजीपी को फैक्ट-फाइंडिंग टीम  के अध्यक्ष व पुणे के उप-महापौर डॉ. सिद्धार्थ धेंडे की अध्यक्षता में  9 सदस्यीय टीम ने जो रिपोर्ट सौंपी है. उससे यह हैरान करने वाली बात सामने आई है.

इस रिपोर्ट की माने तो इसमें कहा गया है  कि हिंसा सुनियोजित थी. इस हिंसा के बारे में वहां की पुलिस को सब कुछ मालूम था. लेकिन पुलिस इस मामले में जानबुझकर लापरवाही बरतते हुए कुछ नहीं किया. जबकि  लोगों ने  इसके बारे में पुलिस को पहले ही सूचित कर दिया था कि पुणे के शनिवारवड़ा में किसी भी समय हिंसा भड़क सकती है.

इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि हिंदूवादी नेताओं में मिलिंद एकबोटे और मनोहर भिडे उर्फ संभाजी भिडे ये दोनों लोग पिछले 15 साल से वहां पर ऐसा माहौल बनाने की तैयारी कर रहे थे. उप-महापौर डॉ. सिद्धार्थ धेंडे द्वारा पुलिस को सौपी गई इस रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है. ये भी पढे़: भीमा कोरेगांव हिंसा: महाराष्‍ट्र पुलिस का बड़ा खुलासा, माओवादी चाहते थे कानून-व्यवस्था को बिगाड़कर सरकार गिराना

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि हिंसा वाले दिन पुलिस हिंसा फैलाने वाले लोगों के साथ सादे कपड़े में साथ चल रहें थे. लेकिन वे हिंसा रोकने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. पुलिस के कार्यशैली पर इसलिए सवाल खड़े हो रहे है.

गौरतलब हो कि पुणे के शनिवारवड़ा में पिछले साल 31 दिसंबर 2017 को एलगर परिषद नाम का एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसके एक दिन बाद एक जनवरी 2018 को लोगों ने भीमा कोरेगांव में एक जुलूस निकाल रहे दलित समुदाय पर सवर्ण जाति के लोगों ने उन पर हमला कर दिया. जिस हमले के बाद वहां पर हिंसा भड़क गई थी.