पुलवामा आतंकी हमले के बाद हुर्रियत नेताओं पर गिरी गाज, एसएएस गिलानी समेत 18 की सुरक्षा हटी

पुलवामा आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए 18 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटा दी है. जिसके बाद इन हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा में तैनात सशस्त्र गार्डो, वाहनों व दूसरी सुविधाओं को वापस ले लिया जाएगा.

हुर्रियत नेता (Photo Credits: PTI)

श्रीनगर: पुलवामा आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए 18 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटा दी है. जिसके बाद इन हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा में तैनात सशस्त्र गार्डो, वाहनों व दूसरी सुविधाओं को वापस ले लिया जाएगा. इससे पहले सरकार ने पाकिस्तान के पक्षधर रहे मीरवाइज उमर फारूक सहित पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी.

जानकारी के मुताबिक कुछ हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा पूरी तरह से नहीं हटाई गई है बल्कि कम कर दी गई है. सरकार ने एसएएस गिलानी, आगा सैयद मोसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शहीद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, मुख्तार अहमद वाजा, फारूक अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, आगा सैयद अबुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह और मोहम्मद मुसद्दिक भट को दी जानेवाली सुरक्षा आदि सहूलियतों को वापस लिया है.

बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय और सुरक्षाबलों की बैठक के बाद पाकिस्तान और आतंक परस्त हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा कम करने का फैसला लिया गया. इसके अलावा 155 राजनीतिक व्यक्तियों और कार्यकर्ताओं की भी सुरक्षा में बदलाव किया गया है.

गौरतलब हो कि हुर्रियत कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता मौलाना अब्बास अंसारी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से कहा था कि उनके आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को हटा लिया जाए. मीरवाइज उमर फारूक सहित छह अलगाववादी नेताओं से सुरक्षा घेरा वापस लाने के बाद अंसारी का यह बयान आया था.

प्रशासन ने रविवार को अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी व शबीर शाह की सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद यह निर्णय लिया गया था. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे.

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