पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा- डिटर्जेंट बेचने के लिए नहीं हैं IIT ग्रेजुएट
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Photo Credits: PTI)

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) जैसे प्रमुख संस्थानों से निकलने वाले ग्रेजुएट को बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में डिटर्जेट (Detergent) की बिक्री बढ़ाने के बजाय देश में बड़े मकसदों के लिए अपनी सेवाएं देने की जरूरत है. मुखर्जी ने कहा, "हमें किसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कपंनी के डिटर्जेट की बिक्री बढ़ाने के बजाए बेहतर उद्देश्यों के लिए आईआईटी के एक ग्रेजुएट की मेधा की आवश्यकता है. वह काम कोई भी कर सकता है. लेकिन आईआईटी ग्रेजुएट (IIT graduate) की मेधा और ज्ञान का इस्तेमाल उस काम के लिए करने की जरूरत नहीं है." इंडियन मैनेजमेंट कान्क्लेव के 10वें संस्करण को दिल्ली में संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने देश में मूलभूत अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया.

उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के पहले साल का जिक्र किया कि एक आईआईटी के दीक्षांत समारोह में उन्होंने निदेशक से पूछा कि वह ऐसे किसी छात्र को जानते हैं जिन्होंने मौलिक अनुसंधान या शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "निदेशक ने सही तरीके से इसका जवाब नहीं दिया और उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में यकीन नहीं है." मुखर्जी ने कहा कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी के दौरान तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों को लेकर भारत शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए 1,800 साल तक अग्रणी बना रहा.

उन्होंने कहा, "हम नहीं चाहते हैं कि हर साल हजारों विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाएं, बल्कि इसके विपरीत विदेशों से छात्र यहां आएं, जैसाकि इन 1,800 वर्षो के दौरान होता रहा. नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय के समाप्त होने से पहले भारत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी था." यह भी पढ़ें- प्रणब मुखर्जी को 8 अगस्त को दिया जाएगा भारत रत्न सम्मान: सूत्र

मुखर्जी ने कहा कि उनको देश के आईआईटी ग्रेजुएट पर गर्व है. उन्होंने गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का भी जिक्र किया जिन्होंने गरीबी में जीवन यापन करते हुए भी शिक्षकों के उत्साहवर्धन की वजह से बर्कले यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की है.