GDP में गिरावट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा-देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समाज में ‘गहराती आशंकाओं’ को दूर करने और देश को फिर से एक सौहार्दपूर्ण तथा आपसी भरोसे वाला समाज बनाने का आग्रह किया जिससे अर्थव्यवस्था को तेज करने में मदद मिल सके।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Photo Credits-ANI Twitter)

नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समाज में ‘गहराती आशंकाओं’ को दूर करने और देश को फिर से एक सौहार्दपूर्ण तथा आपसी भरोसे वाला समाज बनाने का आग्रह किया जिससे अर्थव्यवस्था को तेज करने में मदद मिल सके. अर्थव्यवस्था पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विदाई भाषण देते हुए सिंह ने कहा कि आपसी विश्वास हमारे सामाजिक लेनदेन का आधार है और इससे आर्थिक वृद्धि को मदद मिलती है. लेकिन ‘अब हमारे समाज में विश्वास, आत्मविश्वास का ताना-बाना टूट गया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘समाज में फैले गहरे अविश्वास, भय और निराशा के विषाक्त वातावरण से आर्थिक गतिविधियां अवरुद्ध हो रही हैं।’’कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमारे देश के लोगों की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत वृद्धि की है. जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जो चिंताजनक है। केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिलेगी.’’सिंह ने कहा कि मौजूदा सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है और वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें भी कम है. यह सरकार के लिए कई पीढ़ीयों बाद आने वाले आर्थिक अवसर की तरह है जहां वह देश के आर्थिक विकास को अगले चरण में ले जा सकती है और करोड़ों युवाओं के लिए नयी नौकरियों का सृजन कर सकती है. यह भी पढ़े-GDP में कमी पर रणदीप सिंह सुरजेवाला का केंद्र सरकार पर बड़ा हमला, कहा- 'गोडसे डिवाइसिव पॉलिटिक्स' की वजह से जश्न में बीजेपी

मनमोहन सिंह ने कहा-देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को सीधा संदेश देते हुए कहा , ‘‘ हमें अपने समाज के मौजूदा भय के माहौल को बदलकर भरोसे वाला बनाने की जरूरत है.’’सिंह ने आर्थिक स्थिति को गहरी चिंता का विषय बताने के साथ ही कहा कि समाज की स्थिति तो इससे भी ज्यादा चिंताजनक है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज वह एक चिंतित नागरिक और एक अर्थशास्त्री के रूप में बात कर सकते हैं और इस महत्वपूर्ण विषय के लिए राजनीति को अगल रखकर बातचीत कर सकते हैं.

Share Now

\