UP Elections 2022: यूपी में BJP ने अपनाया कल्याण सिंह का फॉर्मूला, ये है जातीय गणित साधने की रणनिती

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली सूची ( BJP Candidates First List) में वही फॉर्मूला अपनाया है जो कभी पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Former Chief Minister Kalyan Singh) अपनाया करते थे. अमित शाह के नेतृत्व में BJP दलित और ओबीसी (Dalit and OBC Voter In UP) के मेल से चुनाव में बाजी मारना चाहती है.

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और सीएम योगी (Photo Credit : PTI and Wikimedia Commons)

लखनऊ, 17 जनवरी: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh assembly elections) के लिए भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. बीजेपी ने पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए क्रमाश: 57 और 48 उम्मीदवारों की घोषणा की है. यूपी में कुल सात चरण में मतदान होने हैं. सूत्रों के मुताबिक जातीय गणित साधने  (UP Caste Arithmetic) के लिए बीजेपी ने पहली सूची में कल्याण सिंह का फॉर्मूला (Kalyan Singh Formula) अपनाया है. अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी दलित (Dalit) और ओबीसी (OBC) का मेल बनाकर चुनाव में 300 से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता में आना चाहती है. UP Election 2022: निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने किया 15 सीट का दावा, BJP ने अभी नहीं की पुष्टि

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  2013 में यूपी प्रभारी थे. इस दौरान उन्होंने सभी जातियों को एकजुट कर उन्हें हिंदुत्व की छतरी में ले आए, जिसके बाद बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. अब बारी यूपी विधानसभा चुनाव की है. हाल ही में यहां बीजेपी बड़ा झटका लगा, तीन मंत्रियों सहित कई विधायकों ने सपा का दामन थाम लिया. इन मंत्रियों का ओबीसी और दलित वोटरों पर खासा प्रभाव है.  इस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए अब बीजेपी  कल्याण सिंह का फॉर्मूला अपना रही है.

यूपी में जातीय समीकरण का  ताना-बाना 

उत्तर प्रदेश में ओबीसी यानी पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा 52 फीसदी है. वहीं यूपी की जनसंख्या के लिहाज से मुस्लिमों की आबादी लगभग 20 फीसदी है. उत्तर प्रदेश में सवर्ण मतदाता की आबादी 23 फ़ीसदी है, जिसमें सबसे ज्यादा 11 फीसदी ब्राम्हण है, 8 फीसदी राजपूत और 2 फीसदी कायस्थ हैं. UP में करीब 21.1 प्रतिशत दलित वोटर है, जो जाटव और गैर जाटव दलित में बंटा हुआ है.  जाटव दलित 11.70 प्रतिशत हैं, इसके बाद 3.3 प्रतिशत पासी हैं. बाल्मीकी 3.15 प्रतिशत हैं, वही धानुक, गोंड और खटीक 1.05 प्रतिशत हैं, अन्य दलित जातियां भी 1.57 फीसदी हैं.

ऐसे डैमेज कंट्रोल कर रही है BJP 

विशेषज्ञों का दावा है कि ओबीसी समुदाय का बीजेपी से मोह भंग हो गया है. यूपी सरकार के तीन मंत्रियों दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी और स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा का दामन थाम लिया, जिससे  ओबीसी समुदाय के अखिलेश की तरफ शिफ्ट होने की संभावना बनने लगी. लेकिन इसका तोड़ निकालते हुए बीजेपी ने कल्याण सिंह के फॉर्मूले को अपनाया और सबसे ज्यादा टिकट ओबीसी समुदाय के विधायकों को दिया.

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इसी फॉर्मूले को बीजेपी ने 1991 में अपनाया था, जिससे बहुमत की सरकार बनी थी. 2014 में भी ओबीसी और दलित समाज की एकजुटता की वजह से ही भाजपा सफलता मिली थी. कल्याण सिंह के फॉर्मूले के तर्ज पर बीजेपी की पहली लिस्ट में 44 ओबीसी और 19 दलितों को टिकट दिया गया है. यहा लगभग 60 फीसदी के करीब है.  बीजेपी उन दलित वोटरों को साधना चाहती है, जिनका बसपा से मोहभंग हो रहा है. कहा जा रहा है कि मायावती के कोर वोटर अब खिसक रहें हैं.  बीजेपी दलित जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.

 

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