भोपाल: मध्यप्रदेश के भोपाल में भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में सोमवार शाम को बीजेपी के विधायक दल के नेताओं के बीच हुई एक बैठक के बाद शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को विधायक दल का नेता (Leader of BJP Legislative Party) चुना गया है. चौहान को बैठक में सभी विधायकों के सर्व सम्मति की बीच चुना गया. जिसके बाद उन्होंने मध्यप्रदेश के सीएम के रूप में चौथी बार शपथ ली. चौहान के बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि देश में फैले कोरोना वायरस के चलते अकेले ही राजभवन वे गये जहां पर राज्यपाल लालजी टंडन (Lalji Tandon) ने उन्हें मुख्यमंत्री के पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.
शिवराज सिंह चौहान सिर्फ अकेले ही आज शपथ ली है. उनके साथ उनके कैबिनेट में शामिल होने वाले कोई मंत्री आज शपथ नहीं लिया है. कहा जा रहा है कि उनके कैबिनेट में शामिल होने वाले मंत्रियों को जल्द ही शपथ दिलवाई जायेगी. ताकि शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में अपना काम जल्द से जल्द शुरू कर सकें. वहीं विधायक दल के नेताओं की जब बैठक हो रही थी. उस समय बैठक में दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के पर्यवेक्षक अर्जुन सिंह और राज्य के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे भी शामिल हुए. यह भी पढ़े: मध्य प्रदेश सियासी संकट: शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह को बताया-देश का सबसे बड़ा ड्रामेबाज
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद की तस्वीर:
Bhopal: Shivraj Singh Chouhan has been elected as the leader of BJP legislative party in Madhya Pradesh, at the meeting held at the party office. MP Observer Arun Singh, and state in-charge Vinay Sahasrabuddhe joined in the meeting from Delhi via video conference. pic.twitter.com/Y2aXQoN5ky
— ANI (@ANI) March 23, 2020
बता दें बीजेपी की बैठक में शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद सीएम पद की उन्होंने चौथीं बार मध्यप्रदेश की कमान संभाली है. चौहान पहली बार 29 नवंबर 2005 प्रदेश के सीएम बने थे. इसके बाद वे 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार, फिर 8 दिसंबर 2013 को शिवराज ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में पूर्व बहुमत नहीं मिलने से उनके हाथ से प्रदेश की कमान निकल गई.
जिसके बाद कांग्रेस की राज्य में सरकार बनी प्रदेश की कमान कमलनाथ को पार्टी की तरफ से सौंपी गई. लेकिन कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार में अल्पमत में आ गई. जिसके बाद कई दिन तक चले राजनीतिक उठापटक के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट होना था, लेकिन उसके पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. (इनपुट आईएएनएस)