मध्यप्रदेश में मिली शिकस्त के बाद शिवराज सिंह चौहान को लेकर ये बड़ा फैसला ले सकती हैं बीजेपी
लगातार 13 साल मध्यप्रदेश की कमान संभालने वाले शिवराज का राज भले ही खत्म हो गया है लेकिन प्रदेश की जनता में उन्हें मानने वाले आज भी हैं. प्रदेश के 'मामा' शिवराज को चाहने वाले लोगों में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब उनके प्रिय नेता आगे क्या करेंगे.
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Election) में कांग्रेस (Congress) से हार के बाद शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अब कांग्रेस के कमलनाथ (kamal Nath) हैं. शिवराज बीजेपी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. इस हार से न तो उनकी लोकप्रियता कम हुई न ही पार्टी में उनका कद. शिवराज की छवि आज भी एक उत्कृष्ट नेता की है. लगातार 13 साल मध्यप्रदेश की कमान संभालने वाले शिवराज का राज भले ही खत्म हो गया है लेकिन प्रदेश की जनता में उन्हें मानने वाले आज भी हैं. प्रदेश के 'मामा' शिवराज को चाहने वाले लोगों में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब उनके प्रिय नेता आगे क्या करेंगे.
शिवराज सिंह ने यह विधानसभा चुनाव बुधनी लोकसभा सीट से लड़ा था. जहां से वे जीते भी थे. शिवराज को भारी मात्रा में जनमत प्राप्त हुआ था. उन्हें वोट देने वाले उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. प्रदेश की करीब 1.56 करोड़ जनता ने इस बार भी सीएम के लिए शिवराज सिंह चौहान को चुना था. शिवराज की हार के बाद उन लोगों का यह ख्वाब तो टूट गया है, लेकिन ये सब लोग चाहते हैं कि शिवराज प्रदेश और देश की राजनीति में सक्रीय रहें.
शिवराज संभाल सकते हैं ये पद
शिवराज के इस्तीफे के बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि वे प्रदेश की बजाय केंद्र की राजनीति में सक्रिय होंगे, और आने वाले वक्त में वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होकर मध्यप्रदेश में बीजेपी के मिशन-2019 की राह को आसान बनाएं, या फिर लोकसभा चुनाव में उतरकर 2019 के मिशन में अपनी दावेदारी मजबूत करें. लेकिन इन सब बातों से शिवराज साफ तौर पर इनकार कर चुके हैं.
ऐसे में अब शिवराज प्रदेश की राजनीति में ही बीजेपी की कमान संभालकर कांग्रेस को टक्कर देने का काम कर सकते हैं. वे प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के रूप में बीजेपी का नेतृत्व कर सकते हैं, क्यों कि प्रदेश के बीजेपी नेताओं में शिवराज ही इस समय बड़े नेता हैं. प्रदेश अध्यक्ष के अलावा शिवराज किसी राज्य के राज्यपाल भी बन सकते हैं. केंद्र सरकार उन्हें गवर्नर का पद दे सकती है.
शिवराज सिंह का सियासी सफर
शिवराज का सियासी सफर उनकी सीएम की कुर्सी से शुरू नहीं होता, बल्कि इस मुकाम तक पहुंचने से पहले वो सत्ता की हर छोटी मोटी संकरी और पथरीली गलियों से गुजरकर चुके हैं, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के हाथों मिली करारी हार भी शामिल है. इसके बाद से शिवराज सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति का वह सितारा बनकर उभरें हैं जिसकी चमक से बीजेपी में मजबूती बनी हुई है.
मध्यप्रदेश के 17 वें सीएम के तौर पर शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवंबर 2005 को प्रदेश सत्ता का दामन थामा था. उन्हें पार्टी ने मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को हटाकर प्रदेश की कमान सौंपी थी. जिस वक्त पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को कमान सौंपी उस वक्त किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि वे प्रदेश की सत्ता में इतनी लंबी पारी खेलेंगे.
लगभग 13 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के सफर में कई राजनीतिक उतार चढ़ाव भी नजर आए. अपने पहले कार्यकाल के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने साल 2006 में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और साल 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत की. इन दोनों योजनाओं को प्रदेश की जनता से खूब सराहना मिली, इतना ही नहीं इन योजनाओं की सफलता पर उन्हें अन्य राज्यों में भी शुरु किया गया. इस बीच महिला हितैषी योजनाओं के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की महिलाओं के बीच भाई और बेटियों के बीच मामा की छवि गढ़ी.
शिवराज सिंह चौहान पहली बार बुधनी में उपचुनाव के जरिए सदन में पहुंचकर सीएम बने थे. इसके बाद साल 2008 और 2013 में बुधनी विधानसभा से ही चुनाव लड़कर एक बार फिर उन्होंने सत्ता की सीढ़ी चढ़ी थी. साल 2008 में अपनी जन हितैषी योजनाओं के दम पर सत्ता में आए. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान साल 2013 में भी सत्ता में आने में कामयाब रहे. किसान पुत्र की उनकी छवि प्रदेश की जनता को अति प्रिय थी.