Maharashtra: उद्धव ठाकरे से निशान छीनने के बाद शिंदे गुट की नजर अब शिवसेना भवन और ‘सामना’ के मालिकाना हक पर
Chief Minister Eknath Shinde

मुंबई, 23 फरवरी: निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के धड़े को असली शिवसेना मानने के साथ अब यह देखना होगा कि क्या उनका समूह पार्टी मुख्यालय शिवसेना भवन और पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ पर भी दावा पेश करता है या नहीं. दोनों पर वर्तमान में उद्धव ठाकरे खेमे का नियंत्रण है.

शिवसेना भवन मध्य मुंबई में दादर में स्थित है, ‘सामना’ का प्रधान कार्यालय पास के प्रभादेवी क्षेत्र में स्थित है. ये दोनों प्रतिष्ठान वर्तमान में अलग-अलग ट्रस्ट द्वारा संचालित किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा है कि वह शिवसेना भवन पर दावा नहीं करेंगे, भले ही उन्हें पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न मिल गया हो. हालांकि, प्रतिद्वंद्वी खेमा चौकस है. Maharashtra: संजय राउत का आरोप, 'CM शिंदे के बेटे ने दी है मेरी हत्या की सुपारी', फडणवीस ने किया पलटवार

हाल में, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और ठाणे के सांसद राजन विचारे ने ठाणे के पुलिस आयुक्त जयजीत सिंह को एक पत्र सौंपा, जिसमें शिंदे खेमे द्वारा शहर में शिवसेना की शाखाओं (स्थानीय पार्टी कार्यालयों) पर कब्जे के किसी भी प्रयास को विफल करने का आग्रह किया.

शिवसेना भवन ‘शिवाई सेवा ट्रस्ट’ द्वारा नियंत्रित है. इसके संस्थापक न्यासियों में दिवंगत बाल ठाकरे और उनकी पत्नी दिवंगत मीना ठाकरे समेत अन्य शामिल थे. कई संस्थापक न्यासी अब जीवित नहीं हैं. इसके वर्तमान न्यासियों में वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई, दिवाकर रावते, लीलाधर डाके, मुंबई की पूर्व महापौर विशाखा राउत और उद्धव ठाकरे शामिल हैं.

बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ का प्रबंधन प्रबोधन प्रकाशन द्वारा किया जाता है, जिसके मुद्रक-प्रकाशक ठाकरे के वफादार सुभाष देसाई हैं. उद्धव ठाकरे ने नवंबर 2019 में मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद ‘सामना’ के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने मार्च 2020 में संपादक का पद अपनी पत्नी रश्मि ठाकरे को सौंप दिया था. हालांकि, शिवसेना में विभाजन के बाद उद्धव ने अगस्त 2022 में फिर से संपादक का पद संभाला. संजय राउत पार्टी के मुखपत्र के कार्यकारी संपादक हैं.

शाखाएं वह परिसर हैं जहां शिवसैनिक (पार्टी कार्यकर्ता) राजनीतिक बैठकों के लिए इकट्ठा होते हैं, नागरिकों के स्थानीय मुद्दों को हल करते हैं. शिवसेना के इतिहास पर किताब ‘जय महाराष्ट्र’ लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री शिंदे ने शिवसेना भवन और सामना पर दावा न करने का परिपक्व फैसला लिया है क्योंकि ये दोनों संस्थान निजी ट्रस्ट द्वारा संचालित हैं. इन प्रतिष्ठानों पर दावा जताने से और कानूनी पेचीदगियां पैदा होंगी. यह समर्थकों के लिए संयम बरतने का अप्रत्यक्ष संदेश भी है.’’

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