नयी दिल्ली. राज्यसभा में सोमवार को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक पारित हो गया जो निगमित दिवाला समाधान प्रक्रिया को समयबद्ध ढंग से पूरा करने तथा शेयरधारकों के हितों के बारे में अधिक स्पष्टता देने के उद्देश्य से लाया गया है. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से मूल कानून में किये गये संशोधनों की काफी समय से जरूरत महसूस की जा रही थी. उन्होंने कहा कि विधेयक के जरिये सात खंडों का संशोधन किया जाएगा. इनका मकसद कानून की अस्पष्टता को दूर करना है.
वित्त मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इससे पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बदलते भारत की भावना में हमें इस तरह के कानूनों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय कह चुका है कि मूल कानून के जरिये चूककर्ताओं को कानून का सामना करना ही पड़ेगा. यह भी पढ़े-पोक्सो संशोधन विधेयक राज्यसभा से पास, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बोली- देश में 6.20 लाख यौन अपराधी
Rajya Sabha passes 'The Insolvency and Bankruptcy Code (Amendment) Bill, 2019'.
— ANI (@ANI) July 29, 2019
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि समाधान प्रक्रिया हो जाने के बाद किसी कंपनी या उद्यम के नये बोलीदाता या चलाने वालों पर कर अधिकारियों का कोई दबाव नहीं रहेगा क्योंकि पुराना ऋण या अपराध उनका नहीं है बल्कि कंपनी चलाने वाले पुराने लोगों या व्यक्ति का है. उन्होंने कहा कि विधायिका संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत इस विधेयक के जरिए संशोधन ला रही है. उन्होंने कहा कि हम अपने अनुभवों के आधार पर समय समय पर मूल संहिता में संशोधन ला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि समाधान के तहत हमारा मकसद विलय, पुनर्विलय आदि की प्रक्रिया में स्पष्टता लाना हैं. उन्होंने कहा कि सीआईआरपी (निगमित दिवाला समाधान प्रक्रिया) 330 दिनों में होगी. विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों के अनुसार मूल कानून में प्रस्तावित संशोधनों से आवेदनों को समय रहते स्वीकार किया जा सकेगा और निगमित दिवाला समाधान प्रक्रिया को समय रहते पूरा किया जा सकेगा.