राफेल डील: निर्मला सीतारमण का पलटवार, कहा- राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पहला पैराग्राफ भी नहीं पढ़ा
निर्मला सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के बयान को गलत तरीके से पेश किया है.
राफेल डील (Rafale Deal) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद आए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की टिप्पणी पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के पलटवार किया है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि राहुल गांधी ने शायद आधा पैराग्राफ भी नहीं पढ़ा होगा, लेकिन यहां कह रहे कि कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और यह भी कहा कि कोर्ट ने कहा है कि 'चौकीदार चोर है', ये कोर्ट की अवमानना है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के बयान को गलत तरीके से पेश किया है जो कोर्ट की अवमानना है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामले में कोई कार्रवाई करनी है या नहीं, इसको हम देखेंगे.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी राजनीतिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे हैं और देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुद जमानत पर बाहर चल रहा है, उसको देश को गुमराह करने का अधिकार किसने दिया. दरअसल, केंद्र सरकार को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राफेल मामले में अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए लीक दस्तावेजों को आधार बनाने की अनुमति दे दी और उन दस्तावेजों पर ‘विशेषाधिकार’ होने की केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया. इस फैसले पर राहुल गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि राफेल डील में करप्शन हुआ है. उन्होंने कहा कि चौकीदार ने चोरी करवाई है. यह भी पढ़ें- राफेल डील: राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना, कहा- सुप्रीम कोर्ट ने भी माना चौकीदार ने कराई चोरी
उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले में इस बात को भी साफ किया गया है कि पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ न सिर्फ विमानों की कीमत के मुद्दे बल्कि राफेल का निर्माण करने वाली कंपनी दसॉल्ट के भारतीय ऑफसेट पार्टनर के चयन के मुद्दे की भी पड़ताल करेगी. दरअसल, केंद्र ने कहा था कि विशेषाधिकार वाले दस्तावेज याचिकाकर्ताओं ने अवैध तरीके से हासिल किए और शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर 2018 के फैसले के खिलाफ दायर अपनी पुनर्विचार याचिकाओं के समर्थन में उनका इस्तेमाल किया. न्यायालय ने अपने उस फैसले में फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था.