Presidential Election 2022: देश के शीर्ष संवैधानिक पद राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर भाजपा सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश में है. भाजपा ने इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी अपने वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी है. दरअसल, राजनाथ सिंह पूर्व में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके राजनाथ सिंह के संबंध सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से काफी अच्छे रहे हैं, इसलिए पार्टी ने उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर सभी दलों के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी है.
जेपी नड्डा, वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और इस नाते वो देश के सभी राजनीतिक दलों की मंशा को बखूबी समझते हैं. इसलिए पार्टी ने इन दोनों नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वो एनडीए के घटक दलों के साथ-साथ, कांग्रेस समेत यूपीए के भी सभी घटक दलों के साथ बातचीत कर राष्ट्रपति उम्मीदवार पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करें. नड्डा और राजनाथ सिंह, एनडीए और यूपीए के घटक दलों के साथ ही देश के अन्य सभी राजनीतिक दलों और निर्दलीयों के साथ भी बातचीत कर राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर उनका मन टटोलने की कोशिश करेंगे. यह भी पढ़े: President Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का हुआ ऐलान, जानें BJP की क्या है तैयारी
भाजपा की कोशिश है कि देश के शीर्ष संवैधानिक पद के उम्मीदवार को लेकर राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति बनाई जाए, ताकि इस पद के लिए चुनाव के बिना ही निर्विरोध निर्वाचन कर देश और दुनिया में एक बेहतर राजनीतिक संदेश दिया जा सके. भाजपा का यह मानना है कि परंपरा के मुताबिक, केंद्र में प्रचंड बहुमत के साथ उनकी सरकार होने की वजह से सभी राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करना चाहिए.
बताय जा रहा है कि जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह, राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस समेत देश के सभी राजनीतिक दलों का मन टटोलने के साथ ही उन्हें एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए मनाने की भी कोशिश करेंगे.
भाजपा राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने बयान जारी कर बताया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एनडीए और यूपीए के सभी घटक दलों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों और निर्दलीयों के साथ भी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शीघ्र ही विचार-विमर्श की प्रक्रिया को शुरू करेंगे.
बता दें कि देश के नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव आयोग द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक, आवश्यकता पड़ने पर 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे और 21 जुलाई को मतगणना होगी.
वर्ष 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले, इस बार देश की विभिन्न विधानसभाओं में भाजपा और एनडीए के निर्वाचित विधायकों की संख्या में भले ही कमी दर्ज की गई हो, लेकिन 2017 की तुलना में लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा सांसदों की बढ़ी संख्या और गैर-एनडीए एवं गैर-यूपीए क्षेत्रीय दलों के समर्थन की उम्मीद के बल पर भाजपा का यह मानना है कि उसका उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत सकता है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 10,86,431 मतों में से फिलहाल भाजपा के पास आधे से थोड़ा कम मत हैं, लेकिन पार्टी को यह उम्मीद है कि ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन के बल पर वह एनडीए उम्मीदवार को आसानी से राष्ट्रपति बनवा सकती है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने अपनी तरफ से इस पर को लेकर सर्वसम्मति और निर्विरोध निर्वाचन के लिए आम राय कायम करने की कोशिश के तहत अपने दो महत्वपूर्ण नेताओं को सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी है.
हालांकि, देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और विरोधी दलों की तैयारी को देखेत हुए इस बात की उम्मीद कम ही नजर आ रही है कि विपक्षी दल भाजपा के प्रस्ताव पर सहमत हो सकते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति पद को लेकर चुनाव होना तो तय ही माना जा रहा है, लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या विपक्षी दल आपस में एकजुट होकर एनडीए उम्मीदवार के विरोध में एक साझा उम्मीदवार उतार पाते हैं या नहीं? भाजपा को भी इस सवाल के जवाब का इंतजार है.