यहां बीजेपी को लगा बड़ा झटका, कांग्रेस ने 23 साल बाद दर्ज की बड़ी जीत

बता दें कि पचमढ़ी छावनी परिषद क्षेत्र करीब 2500 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है. जिस प्रकार नगरीय क्षेत्र में नपा काम करती हैं. उसी प्रकार पचमढ़ी में छावनी परिषद काम करती है.

फाइल फोटो

भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से करीब साढ़े तीन महीने पहले हुए पचमढ़ी छावनी परिषद के चुनाव में BJP को बड़ा झटका मिला है.साथ ही कांग्रेस के लिए अच्छी खबर सामने आ रही है. जानकारी के अनुसार 23 साल बाद कांग्रेस समर्थित 7 में से 6 पार्षद चुनाव जीते हैं. वही 1 सीट पर भाजपा समर्थित पार्षद को जीत मिली है. इन नतीजों के बाद अब छावनी का उपाध्यक्ष भी कांग्रेस का ही बनेगा. छावनी परिषद में अध्यक्ष सेना के पदेन अधिकारी होते हैं. इस समय कमांडेंट कर्मवीर अध्यक्ष हैं. कांग्रेस इस जीत को विधानसभा चुनावों के लिए शुभ संकेत मान रही है.

गौरतलब है कि पचमढ़ी छावनी परिषद में दो साल बाद चुनाव हुए हैं. दो साल से सेना की तदर्थ समिति ही परिषद का संचालन कर रही थी. रविवार को दोपहर में छावनी परिषद के सभी 7 वार्ड में चुनाव हुआ. यहां कुल 4495 मतदाता हैं. मतदान का प्रतिशत 79.27 रहा. मतदान सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक हुआ, इसके बाद रात 8 बजे से मतगणना शुरू हुई. साथ ही यह एक घंटे में पूरी हो गई. रात 9 बजे परिणाम आ गए. इसमें वार्ड 1 से वार्ड 6 तक कांग्रेस जीती है.

सिर्फ वार्ड नंबर 7 में BJP के संजय लिडवानी जीते हैं. रिटर्निंग अधिकारी एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी ने चुनाव परिणाम की घोषणा की. इस दौरान परिषद के सीईओ सत्यम मोहन भी मौजूद रहे. जीत के बाद पूरे जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश आ गया है.

ये है बीजेपी की हार के 3 प्रमुख कारण-

पहला कारण-पचमढ़ी में आम नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलना.

दूसरा कारण-कुछ साल पहले अतिक्रमण हटा था, इसमें भाजपा की भूमिका निष्पक्ष नहीं थी.

तीसरा कारण-23 साल से सत्ता में रहने के कारण नेताओं का बर्ताव ठीक नहीं व अंहकार से जनता चिढ़ गई.

ये है कांग्रेस की जीत के 3 कारण

1- लगातार जनता की आवाज को उठाते रहे. बीजेपी की गलतियां गिनाईं.

2- चुनाव के दौरान जमीनी चुनाव प्रचार करना। अतिक्रमण का मुद्दा उठाया.

3- प्रत्याशियों का चयन सही करना और सुविधाएं देने का वादा किया.

बता दें कि पचमढ़ी छावनी परिषद क्षेत्र करीब 2500 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है. जिस प्रकार नगरीय क्षेत्र में नपा काम करती हैं. उसी प्रकार पचमढ़ी में छावनी परिषद काम करती है. इसका नियंत्रण रक्षा मंत्रालय के अधीन होता है. छावनी क्षेत्र की जमीन पर भारत सरकार का अधिकार होता है.

इसके साथ ही छावनी परिषद को अनुशंसा के आधार पर अनुदान मिलता है. इसके अलावा जल कर, संपत्ति कर, सेवा कर आदि से परिषद को आय होती है। छावनी में 7 वार्ड हैं. सेना कमांडेंट ब्रिगेडियर पदेन अध्यक्ष होते हैं। छावनी परिषद उपाध्यक्ष का चुनाव पार्षद करते हैं. इसमें सेना का भी प्रतिनिधित्व होता है. सेना के करीब 5 मनोनीत सदस्य होते हैं.

गौरतलब है कि 1857 में ब्रिटिश सेना के कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने पचमढ़ी हिल स्टेशन की खोज की। पचमढ़ी छावनी परिषद का 1885 में गठन हुआ. आजादी बाद से 1995 तक कांग्रेस शासित रही. बाद से लगातार बीजेपी का शासन रहा है.

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