India-Pakistan Partition: पीएम मोदी ने विभाजन के दौरान जान गंवाने वालों को दी श्रद्धांजलि, कांग्रेस ने BJP पर साधा निशाना

प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने विभाजन के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को रविवार को श्रद्धांजलि दी. वहीं, कांग्रेस ने सत्ताधारी पार्टी पर दुखद ऐतिहासिक घटनाओं का अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

नयी दिल्ली, 14 अगस्त: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने विभाजन (India-Pakistan Partition) के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को रविवार को श्रद्धांजलि दी. वहीं, कांग्रेस ने सत्ताधारी पार्टी पर दुखद ऐतिहासिक घटनाओं का अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. India-Pakistan Partition: भाजपा ने जारी किया VIDEO, विभाजन के लिए कांग्रेस, कम्युनिस्ट को ठहराया जिम्मेदार

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर यहां जंतर-मंतर पर एक मौन जुलूस का नेतृत्व किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अनुराग ठाकुर सहित पार्टी के कई नेता शामिल हुए.

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर, मैं विभाजन के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं और हमारे इतिहास के उस दुखद काल के पीड़ितों के धैर्य और सहनशीलता की सराहना करता हूं.’’

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाया जाएगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय इतिहास के ‘‘अमानवीय’’ अध्याय को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

कांग्रेस ने हालांकि आरोप लगाया कि 14 अगस्त के दिन ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की वास्तविक मंशा सबसे दुखद ऐतिहासिक घटनाओं का अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विभाजन की त्रासदी का इस्तेमाल नफरत और पूर्वाग्रह की भावना को भड़काने के लिए नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, ''बंटवारे की त्रासदी का दुरुपयोग नफरत और पूर्वाग्रह की भावना को भड़काने के लिए नहीं होना चाहिए. सच यह है कि सावरकर ने द्वि-राष्ट्र का सिद्धांत दिया और जिन्ना ने इसे आगे बढ़ाया. सरदार पटेल ने लिखा था कि ‘‘मुझे लगता है कि अगर हमने विभाजन स्वीकार नहीं किया, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा और पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.''

शाह ने ट्वीट किया, ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस देश की युवा पीढ़ी को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना एवं वेदना का स्मरण कराएगा और देशवासियों को देश में सदा शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रेरित भी करेगा.’’

शाह ने कहा, ‘‘1947 में हुआ देश का विभाजन भारतीय इतिहास का वो अमानवीय अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. विभाजन की हिंसा और घृणा ने लाखों लोगों की जान ले ली व असंख्य लोगों को विस्थापित होना पड़ा. आज 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' पर बंटवारे का दंश झेलने वाले लाखों लोगों को नमन करता हूं.''

मोदी ने 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाने के अपनी सरकार के फैसले की घोषणा करते हुए कहा था कि लाखों लोग विस्थापित हुए और नफरत और हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई.

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उन लोगों को याद किया, जिन्होंने विभाजन के दौरान असहनीय कीमत चुकाई. उन्होंने कहा, "हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि कैसे स्वार्थ और व्यक्तिगत हितों की राजनीति ने विभाजन और दर्द को जन्म दिया.’’

भाजपा ने दो-राष्ट्र के सिद्धांत को लेकर सावरकर पर कटाक्ष करने के लिए रमेश पर पलटवार भी किया. भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि इसे सावरकर के जन्म से बहुत पहले पहली बार 1876 में एएमयू के संस्थापक सैयद अहमद खान ने प्रतिपादित किया था. उन्होंने दावा किया कि सावरकर और हिंदू महासभा ने विभाजन के विचार का अंत तक विरोध किया था.

कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘क्या प्रधानमंत्री आज जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करेंगे, जिन्होंने शरत चंद्र बोस की इच्छा के खिलाफ बंगाल के विभाजन का समर्थन किया था और वह तब स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में शामिल हुए थे, जब विभाजन के दर्दनाक परिणाम स्पष्ट रूप से सामने आ रहे थे?''

इस पर, मालवीय ने कहा, ‘‘बंगाल में प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस के लिए जिम्मेदार हुसैन सुहरावर्दी तथा शरत चंद्र बोस और किरण शंकर रॉय ने एक संयुक्त संप्रभु बंगाल की मांग की थी, जो न तो भारत और न ही पाकिस्तान जाएगा, बल्कि मुस्लिम लीग सरकार के साथ स्वतंत्र रहेगा और मुस्लिम बहुल प्रांत रहेगा.’’

वर्ष 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान को एक मुस्लिम देश के तौर पर बनाया गया था. लाखों लोग विस्थापित हुए थे और उनके बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा में लाखों लोगों की जान चली गई थी. भारत सोमवार को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएगा.

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