उत्तर प्रदेश: मायावती को सुप्रीमकोर्ट का बड़ा झटका, BSP चिन्ह 'हाथी' और अपनी मूर्तियां बनवाने पर खर्च किए हुए पैसे का देना होगा हिसाब
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि उसे ऐसा लगता है कि मायावती (Mayawati) को लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किया गया सारा सरकारी धन लौटाना होगा
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि उसे ऐसा लगता है कि मायावती (Mayawati) को लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किया गया सारा सरकारी धन लौटाना होगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi), न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता (Deepak Gupta) और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (Sanjeev Khanna) की पीठ ने एक अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
अधिवक्ता रवि कांत ने 2009 में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता.
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा ऐसा विचार है कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा.’’
हालांकि, पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई में वक्त लगेगा, इसलिए इसे अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पर्यावरण को लेकर व्यक्त की गयी चिंता को देखते हुये इस मामले में अनेक अंतरिम आदेश और निर्देश दिये थे.
यही नहीं, निर्वाचन आयोग को भी निर्देश दिये गये थे कि चुनाव के दौरान इन हाथियों को ढंका जाये.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मायावती, जो उस समय उप्र की मुख्यमंत्री थीं, का महिमामंडन करने के इरादे से इन मूर्तियों के निर्माण पर 2008-09 के दौरान सरकारी खजाने से करोड़ों रूपए खर्च किये गये हैं.