क्या कोरोना संकट ख़त्म होने के बाद कांग्रेस के कई दिग्गज नेता छोड़ेंगे पार्टी का दामन? बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने की भविष्यवाणी
चंद्रकांत पाटिल ने कांग्रेस के कुछ नेताओं का नाम लिए बिना कहा कि, कुछ कांग्रेस के नेता बीजेपी नेता एकनाथ खडसे को अपनी पार्टी में आने का निमंत्रण दे रहे थे. उन्हें पहले अपनी पार्टी संभालनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हम उन्हें जल्दी ही एक बड़ा झटका देंगे. उनका इशारा राष्ट्रिय राजनीति की ओर था.
महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच सियासी लड़ाई भी अपने चरम पर है. राज्य के भीतर तख्ता पलट और नेताओं के पार्टी को छोड़ने की खबरों ने सियासी गलियारों में सुगबुगाहट तेज कर दी है. दरअसल महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि कांग्रेस अपने नेताओं को संभाल कर रखें. क्योंकि जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा. उसके बाद कई नेता बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. चंद्रकांत पाटिल ने कांग्रेस के कुछ नेताओं का नाम लिए बिना कहा कि, कुछ कांग्रेस के नेता बीजेपी नेता एकनाथ खडसे को अपनी पार्टी में आने का निमंत्रण दे रहे थे. उन्हें पहले अपनी पार्टी संभालनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हम उन्हें जल्दी ही एक बड़ा झटका देंगे. उनका इशारा राष्ट्रिय राजनीति की ओर था.
बता दें कि कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी की सरकार बनने से पहले बीजेपी ने सत्ता में वापसी के लिए पूरा दम लगा दिया था. उस वक्त शरद पवार के भतीजे और एनसीपी के दिग्गज नेता अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना लिया था. उन्होंने खुद डेप्युटी सीएम का पद लिया था. लेकिन राजनीति के चाणक्य के रूप में पहचाने जाने वाले शरद पवार ने पूरे सियासी समीकरण को बदल दिया और अजित पवार को फिर से पलटकर अपने घर आना पड़ा. लेकिन उस उठापटक के बाद अब चन्द्रकांत पाटिल के इस बायान से नेताओं के भौहें खड़ी कर दी है.
दरअसल माना जा रहा है कि कांग्रेस के भीतर अभी अब भी आंतरिक कलह का दौर चल रहा है. एक तरफ जहां नाराज संजय निरुपम खेमा है तो दूजी तरफ मिलिंद देवड़ा हैं. जो विधानसभा चुनाव के दिनों से अपनी पार्टी से खफा है. वहीं कई कांग्रेसी नेता कुर्सी न पाने से भी नाराज है. ऐसे में कुर्सी के सपने संजोये बैठी बीजेपी के पास उनके नाराजगी को भुनाने के सिवा सत्ता में वापसी के लिए कोई दूसरी राह नहीं है.
फिलहाल राजनीति में नेता के मन और उनके कदम का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. क्योंकि कब किस पार्टी और कौन से नेता अपना दल बदल लें यह कहा नहीं जा सकता है. कभी कांग्रेस और एनसीपी पर निशाना साधकर राजनीति करने वाली शिवसेना आज दोस्ती कर राज्य की सत्ता चला रही है. वहीं बीजेपी और शिवसेना जिनमे कभी प्रगाड़ मित्रता थी वे एक दूसरे विरोधी बन बैठे हैं.