मध्य प्रदेश का सियासी संकट: सीएम कमलनाथ बोले-संसदीय मर्यादाओं का पालन न करने के आरोप से दुखी हूं
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को राज्यपाल लालजी टंडन के पत्र का एक बार फिर जवाब दिया है और कहा है कि उन पर संसदीय मर्यादाओं का पालन न करने का जो आरोप लगाया गया है, उससे वह दुखी हैं. साथ ही उन्होंने बीते चार दशक के लंबे राजनीतिक जीवन में सम्मान और मर्यादा का पालन करने का दावा भी किया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को राज्यपाल को एक पत्र लिखा है.
भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को राज्यपाल लालजी टंडन के पत्र का एक बार फिर जवाब दिया है और कहा है कि उन पर संसदीय मर्यादाओं का पालन न करने का जो आरोप लगाया गया है, उससे वह दुखी हैं। साथ ही उन्होंने बीते चार दशक के लंबे राजनीतिक जीवन में सम्मान और मर्यादा का पालन करने का दावा भी किया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को राज्यपाल को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है, "सदन की कार्यवाही कोरोनावायरस के चलते 26 मार्च तक के लिए स्थगित की गई है। कोरोनावायरस के संक्रमण से देश और दुनिया पीड़ित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतर्राष्ट्रीय महामारी घोषित किया है."
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने में आनाकानी के आरोप के जवाब में कहा है, "आपके ध्यान में यह तथ्य लाना चाहूंगा कि पिछले 15 महीनों में मैंने सदन में कई बार अपना बहुमत सिद्घ किया है। अब यदि भाजपा यह आरोप लगा रही है कि मेरे पास बहुमत नहीं है तो फिर अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से फ्लोर टेस्ट करा सकते हैं। मेरी जानकारी में यह आया है कि भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है, जो विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लंबित है। विधानसभा नियमावली के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष नियमानुसार कार्रवाई करेंगे तो अपने आप यह सिद्घ हो जाएगा कि हमारा विधानसभा में बहुमत है." यह भी पढ़े-मध्य प्रदेश सियासी संकट: सुप्रीम कोर्ट ने भेजा कमलनाथ सरकार को नोटिस, फ्लोर टेस्ट पर कल होगी सुनवाई
राज्य की वर्तमान स्थितियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा है, "मैं बार-बार पत्र के माध्यम से और व्यक्तिगत रूप से मिलकर आपको असाधारण स्थिति के बारे में अवगत कराता आ रहा हूं। कांग्रेस के 16 विधायकों को बेंगलुरू में पुलिस की मदद से होटल में बंदी जैसी स्थिति में रखा गया है। भाजपा के नेता इन्हें चार्टर हवाई जहाज से अपने साथ कर्नाटक ले गए हैं। होटल में विधायकों से कोई मिल नहीं सकता, बात नहीं कर सकता। उन्हें भोपाल आने से भी रोका जा रहा है, जबकि भाजपा के नेता उनके साथ आ-जा रहे हैं और उनके मन मस्तिष्क पर प्रलोभन, दबाव डालकर प्रभाव डाल रहे हैं और मीडिया में झूठे बयान दिलवा रहे हैं। प्रमाणस्वरूप उन विधायकों में से एक मनोज चौधरी के भाई द्वारा की गई शिकायत भी इस पत्र के साथ संलग्न है."
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में लगाई गई याचिका का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा है, "इन सारे तथ्यों के साथ आपके निर्देश को विधानसभा अध्यक्ष को समुचित निर्णय लेने के लिए अग्रेषित कर दिया है, इस पत्र की एक प्रति भी उन्हें अंकित कर भेज रहा हूं."
ज्ञात हो कि, राज्यपाल टंडन ने 14 मार्च को पत्र लिखकर विधानसभा के बजट सत्र के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट करने के लिए कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राज्यपाल ने इस पर सख्त एतराज जताते हुए मुख्यमंत्री को दोबारा पत्र लिखा और 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट के लिए कहा है, लेकिन अब भी ऐसा होता नहीं दिख रहा है, क्योंकि विधानसभा सत्र को 26 मार्च तक के लिए स्थगित किया जा चुका है. वहीं यह मामला सर्वोच्च न्यायालय भी पहुंच चुका है.