लोकसभा चुनाव 2019: पश्चिम बंगाल में बीजेपी कर रही हैं 2021 की तैयारी, ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने का है प्लान
बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अबकी बार पश्चिम बंगाल पर खास ध्यान दे रहा है. पार्टी यहां अपनी सीटें बढ़ा कर दूसरे राज्यों में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई करना चाहती है.
पश्चिम बंगाल में 2019 लोकसभा चुनाव को 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच संघर्ष' बताया जा रहा है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या एक छत्र राज करने वाली ममता की गढ़ में मोदी खेमा सेंध लगाने में कामयाब हो पाएगा. या कहीं बीजेपी आने वाले समय में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. पश्चिम बंगाल में साल 2021 में लोकसभा चुनाव होना है. ऐसे में टीएमसी की सरकार को गिराकर ममता को सत्ता से बेदखल कर बीजेपी कमल खिलाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बीजेपी नेता लगातार बंगाल की सियासत में सक्रिय है.
ममता बनर्जी से सीधे लोहा लेने का काम बीजेपी कर रही है. लेकिन ममता बनर्जी भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. यही कारण हैं कि ममता ने बीजेपी की रथ यात्रा को रोक दिया तो वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बंगाल में हेलीकाप्टर को उतरने की इजाजत नहीं दी,ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने माकपा की अगुवाई वाले वाम मोर्चा को 34 साल तक सत्ता में बने रहने के बाद 2011 में उखाड़ फेंका था. लेकिन अब हालत बदल गए हैं और बीजेपी वहां पीएम मोदी के विकास के अजेंडे को लेकर आगे बढ़ रही हैं.
टीएमसी में बीजेपी की बड़ी सेंध
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को तगड़ा झटका लगा, जब हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए अर्जुन सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया. अर्जुन सिंह भाटपापरा निर्वाचन क्षेत्र के दबंग नेता और चार बार के विधायक रहे हैं. इसके साथ ही पार्टी के सांसद अनुपम हाजरा ने बीजेपी में शामील हो गए थे. इसके अलावा सांसद सौमित्र खान और मुकुल रॉय तो पहले से ही बीजेपी का दामन थाम लिया है.
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बीजेपी के लिए विधानसभा से पहले लोकसभा है ‘सेमीफाइनल’ मुकाबला
पश्चिम बंगाल में पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव, 2021 विधानसभा चुनाव में मजबूत प्रतिद्वंद्वी ममता बनर्जी से मुकाबला करने के पहले सेमीफाइनल मैच की तरह है. लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि भारतीय जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भूमि होने के बावजूद पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में मजबूत ताकत नहीं थी. साल 2014 के चुनाव में पार्टी को 17 प्रतिशत वोट और दो सीटें मिली थीं. वहीं बीजेपी ने पिछले साल के पंचायत चुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चा को पीछे छोड़ दिया था. जिसके बाद बीजेपी की उम्मीदें और भी बढ़ गईं. हालंकि इस समय पश्चिम बंगाल में पार्टी के लगभग 40 लाख सदस्य हैं. ऐसे में बीजेपी में उम्मीद जाग गई है.
पिछले विधानसभा चुनाव क्या कहतें हैं
बता दें कि साल 2016 के विधासभा चुनाव में बीजेपी महज 3 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं टीएमसी 211 सीटों पर कब्जा कर सरकार में आ गई. लेकिन बीजेपी ने वर्ष 2011 के 19.5 लाख मतदाताओं की तुलना में कहीं ज्यादा यानी 56 लाख मतदाताओं का वोट हासिल किया. इसके साथ ही साथ इसने 294 विधानसभा क्षेत्रों में से 262 में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. इन स्थानों पर बीजेपी को 10 हजार से ज्यादा वोट मिले. वहीं वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए हमारा आधार बनेगा. वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम से
उम्मीद जताई है कि ये नतीजे बंगाल में पार्टी के लिए एक लॉन्चिंग पैड का काम करेंगे.
गौरतलब है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अबकी बार पश्चिम बंगाल पर खास ध्यान दे रहा है. पार्टी यहां अपनी सीटें बढ़ा कर दूसरे राज्यों में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई करना चाहती है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व को राज्य की 42 में से कम से कम 23 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया है. बता दें कि बीते लोकसभा चुनावों में पार्टी को यहां महज दो सीटें मिली थीं.