मिशन 2019: दक्षिण भारत में ये है मोदी-शाह की सबसे बड़ी मुसीबत
बीजेपी को पूर्वी भारत में काफी लाभ मिला हैे लेकिन दक्षिण भारतीय राज्यों में उसे पर्याप्त कामयाबी नहीं मिली है.
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रविवार को दक्षिण भारतीय राज्यों के दौरे पर थे. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh), तमिलनाडु (Tamil Nadu) और कर्नाटक (Karnataka) में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला और लोकार्पण करने के बाद सार्वजनिक रैलियां कर विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान दक्षिण भारतीय राज्यों में अपनी पहचान बना ली थी. ऐसे में अब बीजेपी दक्षिण भारतीय राज्यों में खुद के विस्तार की योजना बना रही है. उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत में अपने शिखर पर पहुंच चुकी बीजेपी को यहां सीटें कम होने की उम्मीद है. ऐसे में इसकी भरपाई करने के लिए बीजेपी पूर्व और दक्षिण भारत का रुख कर रही है. बीजेपी को पूर्वी भारत में काफी लाभ मिला हैे लेकिन दक्षिण भारतीय राज्यों में उसे पर्याप्त कामयाबी नहीं मिली है.
दक्षिण भारत में बीजेपी की पैठ बनाना इतना आसान नहीं होगा. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को कई तरह के मुसीबतों का सामना करना होगा. मसलन दक्षिण भारतीय राज्यों में बीजेपी के पास मजबूत छवि वाल स्थानीय नेताओं की कमी है. इसके अलावा इन राज्यों के लोगों के बीच बीजेपी को लेकर यह छवि है कि ये उत्तर भारतीय और हिंदी पट्टी की पार्टी है और इन राज्यों के लोगों में क्षेत्रीय भावना से गहरा जुड़ाव है.
इसके साथ ही बीजेपी के संगठन का दक्षिण भारतीय राज्यों में कमजोर होना और पीएम नरेंद्र मोदी के छवि की अपील भी इन राज्यों में एक सीमित हद तक ही है. इसी वजह से पीएम नरेंद्र मोदी के छवि का आकर्षण भी वहां के लोकल फैक्टर्स को प्रभावित नहीं कर पाता. ये सब बीजेपी के लिए गहरी चिंता का विषय है. यह भी पढ़ें- बिहार: NDA में फिर शुरू हुई खींचतान, इन सीटों पर फंस रहा है पेंच!
केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु को मिलाकर कुल 129 लोकसभा सीटें हैं. इनमें से 20 सीटें ही हासिल करना फिलहाल बीजेपी के लिए एक महत्वाकांक्षी काम होगा.