बेंगलुरू: 23 मई को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के नतीजे आने से पहले, कर्नाटक में सत्तारूढ़ जनता दल-सेक्युलर(जेडी-एस) और कांग्रेस के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर तू तू-मैं मैं शुरू हो चुकी है.
गठबंधन सरकार का आगे का सफर तय करना राज्य की 28 लोकसभा सीटों के नतीजे पर निर्भर करेगा, तो विपक्षी भाजपा चुनाव बाद गठबंधन के बिखरने की स्थिति में सत्ता हथियाने का इंतजार कर रही है.
प्रदेश भाजपा नेता जी मधुसूदन ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा, "धुर विरोधियों ने केवल हमारी पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए मई 2018 विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन किया था. लेकिन सत्ता साझा करने को लेकर उनके मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं. ऐसी स्थिति में जब उनकी सरकार का कार्यकाल पूरा करना दांव पर लगा हुआ है, वे अगले मुख्यमंत्री को लेकर आपस में लड़ रहे हैं."
हालांकि दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव साथ लड़ा है और यहां की 28 सीटों में से कांग्रेस ने 21 पर और जेडीएस ने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. इसके नतीजे उनके गठबंधन सरकार के भाग्य का फैसला करेंगे.
अभी के लिए, सोशल मीडिया पर और 19 मई को कुनडागोला व चिंचोली सीट पर विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अगले मुख्यमंत्री पद के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से यही संकेत मिलते हैं कि मौजूदा मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के इस पद पर दिन अब गिने-चुने रह गए हैं.
एक राजनीतिक विशेषज्ञ ने आईएएनएस से कहा, "कुमारस्वामी सरकार का गठबंधन जारी रहना इसपर निर्भर करेगा कि कांग्रेस राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कैसा प्रदर्शन करती है. राज्य में गठबंधन से ज्यादा भाजपा के सीट जीतने की स्थिति में, गठबंधन सरकार गिर जाएगी अगर कांग्रेस के बागी दर्जन विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया."
उन्होंने कहा, "अगर कांग्रेस उपचुनाव में दो विधानसभा सीटों को अपने पास रखने में सफल नहीं होती है तो गठबंधन सरकार का भविष्य उसके बागी विधायकों से निपटने पर निर्भर हो जाएगा, क्योंकि कुमारस्वामी के पास निचले सदन में बहुमत से केवल एक सीट ज्यादा यानी 114 सीट होंगी."