लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीजेपी पर लगाया ग्राम प्रधानों को रिश्वत देने का आरोप
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने भाजपा पर अमेठी में ग्राम प्रधानों को 20-20 हजार रुपये रिश्वत देने का आरोप लगाया...
अमेठी : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने भाजपा पर अमेठी में ग्राम प्रधानों को 20-20 हजार रुपये रिश्वत देने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि भगवा दल को गलतफहमी है कि पुश्तों से चले आ रहे प्रेम और सच्ची राजनीति की मिसाल को इतनी रकम में खरीदा जा सकता है. प्रियंका ने यहां एक नुक्कड़ सभा में कहा ''यहां गलत प्रचार हो रहा है. पैसा बंट रहा है. कांग्रेस तो जनता के बीच अपना घोषणापत्र बांट रही है लेकिन भाजपा वाले पत्र नहीं बल्कि ग्राम प्रधानों को 20-20 हजार रुपये भेज रहे हैं.''
उन्होंने कहा ''हंसी की बात है कि वे (भाजपा) सोच रहे हैं कि अमेठी का प्रधान 20 हजार रुपये में बिक जाएगा. वो सोच रहे हैं कि जो (नेहरू-गांधी परिवार के साथ) पुश्तों से चला आ रहा प्रेम और सच्ची राजनीति की मिसाल है, उसको 20 हजार रुपये में खरीद लेंगे.'' प्रियंका ने केन्द्रीय मंत्री और अमेठी से भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि क्षेत्रीय सांसद राहुल गांधी को 'लापता' बताने वाली स्मृति अमेठी आकर 'नाटक' कर रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ये (स्मृति) आप के क्षेत्र में नाटक कर रही हैं. वह खुद 16 बार अमेठी आयी हैं जबकि आपके सांसद राहुल गांधी उनसे दोगुनी बार यहां आये हैं. वे आपके गांव-गांव जाकर यहां रह चुके हैं. ये (स्मृति) देश भर की मीडिया बुलाकर यहां के लोगों में जूतों का वितरण कर देती हैं. ये आपका अपमान करना चाहती हैं कि अमेठी के लोगों के पास जूते नहीं हैं. वह पूरी तरह नामसझ हैं, यह जान नहीं पायी हैं कि अमेठी की जनता क्या है.''
प्रियंका ने कहा ''अमेठी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में यही हो रहा है. आपके सामने बड़े-बड़े प्रचार किये गये. किसे मिले 15 लाख रुपये? दो करोड़ रोजगार कहे थे, किसको मिला रोजगार? किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कही थी. मैं पूरे यूपी में घूम रही हूं, जहां भी जाती हूं, पता चलता है कि किसान को उपज का दाम नहीं मिलता. किसान कर्ज में डूब रहा है. अब तक 12 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं. आपकी फसल बीमा के प्रीमियम के कुल 10 हजार करोड़ रुपये बड़े-बड़े उद्योगपतियों की जेब में जा चुके हैं.''