कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: 'शिकारीपुरा' में येदियुरप्पा को शिकस्त देना कांग्रेस के लिए नहीं होगा आसान
येदियुरप्पा और बीजेपी की पारंपरिक सीट व सुरक्षित गढ़ होने के कारण विपक्षियों के लिए इस किले में सेंध लगाना मुश्किल सा दिखाई पड़ता है. पिछले नौ चुनावों में बीजेपी ने सिर्फ एक बार ही यह सीट हारी है.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की जंग देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लिए जहां अपने विजय रथ को आगे बढ़ाने और कांग्रेस मुक्त भारत के उसके नारे को सही साबित करने की है तो वहीं देश में अपने सिमटते अस्तित्व को बचाने में जुटी कांग्रेस के लिए कर्नाटक का रण उसके लिए संजीवनी का काम कर सकता है. विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए जहां अपनी सीटों को बचाने का दबाव है वहीं भाजपा को अपने गढ़ में सेंध लगने की आशंका. बीजेपी की राज्य इकाई के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक बी.एस. येदियुरप्पा अपने मजबूत किले शिकारीपुरा से चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं.
कर्नाटक विधानसभा सीट संख्या -115 शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र. शिकारीपुरा ऐतिहासिक स्थानों और प्राकृतिक आकर्षण स्थानों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रसिद्ध अंजनेय मंदिर शामिल हैं. यहां देश के अलग अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 2,13,590 हैं जिसमें से 1,08,344 पुरुष और 1,05,246 महिलाएं हैं.
शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र में ज्यादातर कुरुबा, गुडिगर्स, लिंगायत, लैम्बानी, हैवीक, मुस्लिम, ईसाई और अन्य जातियां रहती हैं. बात करें क्षेत्रीय राजनीति की तो इस सीट को पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ कहा जाता है. इस सीट पर पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी.एस. येदियुरप्पा का एकछत्र राज रहा है.
येदियुरप्पा ने 1983 में इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने 1985 उप-चुनाव, विधानसभा चुनाव 1989, 1994, 2004, 2008 और 2013 में जीत हासिल कर इस निर्वाचन क्षेत्र को विपक्षी दलों के लिए अभेद्य किले में स्थापित कर दिया. हालांकि 1999 में उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार महालींग्प्पा के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था लेकिन उसके बाद से उन्होंने कभी इस सीट पर हार नहीं मिला.
शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2014 में हुए उपचुनाव में येदियुरप्पा की जगह उनके बेटे बी.वाई राघवेंद्र ने चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंद्वी एच.एस. शांथवीरप्पा गौड़ा को मात दी थी. विधानसभा चुनाव 2018 में शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी ने एक बार फिर येदियुरप्पा को मैदान में उतारा है.
1965 में सामाजिक कल्याण विभाग में प्रथम श्रेणी क्लर्क के रूप में नियुक्त येदियुरप्पा नौकरी छोड़कर और शिकारीपुरा चले गए जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की शंकर चावल मिल में एक क्लर्क के रूप में कार्य किया. अपने कॉलेज के दिनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े येदियुरप्पा ने 1970 में सार्वजनिक सेवा शुरू की. उन्हें संघ की शिकारीपुर इकाई के कार्यवाहक (सचिव) नियुक्त किया गया था. इसके बाद वह 1972 में शिकारीपुरा टाउन नगर पालिका के लिए चुने गए और उन्हें जनसंघ की तालुक इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
येदियुरप्पा 1975 में शिकारीपुरा के टाउन नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद 1980 में उन्हें बीजेपी की शिकारीपुरा तालुक इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और 1988 में येदियुरप्पा को कर्नाटक की बीजेपी इकाई का अध्यक्ष बना दिया गया. येदियुरप्पा ने 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. हालांकि, जेडी (एस) ने मंत्रालयों पर असहमति जताते हुए सरकार को समर्थन करने से इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 19 नवंबर 2007 को उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा देना पड़ा.
येदियुरप्पा को दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाने के लिए भी जाना जाता है उन्होंने दक्षिण भारत में बीजेपी के लिए प्रवेश द्वार बनाया. उनके नेतृत्व में बीजेपी ने 2008 विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और येदियुरप्पा ने 30 मई 2008 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. हालांकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा.
येदियुरप्पा को 2011 में उस वक्त तब तगड़ा झटका लगा जब उनके खिलाफ पांच मामले दर्ज किए गए, येदियुरप्पा पर जमीन के अवैध अधिसूचना और भ्रष्टाचार के आरोप लगे, हालांकि उच्च न्यायालय ने उन्हें क्लीन चिट देकर उन्हें और पार्टी को राहत दे दी. येदियुरप्पा को 2016 में फिर से प्रदेशाध्यक्ष चुना गया.
येदियुरप्पा और बीजेपी की पारंपरिक सीट व सुरक्षित गढ़ होने के कारण विपक्षियों के लिए इस किले में सेंध लगाना मुश्किल सा दिखाई पड़ता है. पिछले नौ चुनावों में बीजेपी ने सिर्फ एक बार ही यह सीट हारी है. इसी रिकॉर्ड को देखते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस ने येदियुरप्पा के खिलाफ स्थानीय नगर पालिका सदस्य गोनी मालतेश को मैदान में उतारा है.
वहीं जेडी (एस) ने बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ लो-प्रोफाइल नेता एच.टी. बालीगर को चुनाव मैदान में उतारा है. इसके अलावा आम आदर्मी पार्टी ने चंद्रकांत एस. रेवांकर और चार निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. ऑल इंडिया मज्लिस ए इतेहदुल मुसलिमीन पहले ही जनता दल (सेक्युलर) को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है.