जम्मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला-महबूबा मुफ्ती के बाद पूर्व मंत्री नईम अख्तर पर भी लगा पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा

जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) के दोनों पूर्व पीएम नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah ) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (Peoples Democratic Party) की नेता महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट ( Public Safety Act ) के तहत मामला दर्ज किया गया था. जिसके बाद शनिवार को एक और पीडीपी नेता पर पीएसए एक्ट लगा दिया गया. पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ( Naeem Akhtar) पिछले छह महीने से नजरबंद थे. जिसके बाद उनपर शनिवार को पीएसए (PSA) लगा दिया गया. नेता हैं, जिन पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पीडीपी नेता नईम खान

जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah ) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (Peoples Democratic Party) की नेता महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट ( Public Safety Act ) के तहत मामला दर्ज किया गया था. जिसके बाद शनिवार को एक और पीडीपी नेता पर पीएसए एक्ट लगा दिया गया. पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ( Naeem Akhtar) पिछले छह महीने से नजरबंद थे. जिसके बाद उनपर शनिवार को पीएसए (PSA) लगा दिया गया. नेता हैं, जिन पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

बता दें कि पीएसए 3 से 24 महीने तक बिना सुनवाई के हिरासत में रखे जाने की अनुमति देता है. इसके बाद अब नईम अख्तर को एम-5 हट में रखा जाएगा, जो श्रीनगर के गुपकर रोड पर है. इससे पहले पब्लिक सेफ्टी एक्ट पीडीपी के महासचिव अली मुहम्मद सागर और सरताज मदनी पर मामला दर्ज किया गया था.

बता दें कि मामले के यह मामाल अब सियासी रंग ले चूका है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएसए के तहत मामला दर्ज होने पर कहा था कि किस आधार पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पीएसए लगाया गया है? उमर और महबूबा ने भारत के संविधान को कायम रखा, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अनुपालन किया और कभी भी हिंसा एवं विभाजन से संबंध नहीं रखा. वे बिना किसी आधार के अनिश्चिकाल के लिए कैद में रखे जाने के नहीं, बल्कि रिहा किए जाने के हकदार हैं.

बता दें कि पीएसए एक्ट उमर के दादा तथा पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के शासनकाल में 1978 में लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिये यह कानून लाया गया था. जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत दो प्रावधान हैं-लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा को खतरा. पहले प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के छह महीने तक और दूसरे प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.

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