कश्मीर: मंगलवार को नजरबंदी से आजाद हुए उमर अब्दुल्ला की सरकार से गुहार- महबूबा मुफ़्ती को भी करें रिहा
जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटाने के आठ महीने बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) को रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद उन्होंने महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की रिहाई की मांग की है. उन्होंने ट्वीट लिखा है कि “महबूबा मुफ्ती और अन्य को नजरबंद रखना बेहद क्रूर है. उन्होंने लिखा देश में लॉकडाउन है, उन्होंने लिखा है कि पहली बार में सभी को हिरासत में लेना भी ठीक नहीं था. मैं उम्मीद करता हूं कि पीएम मोदी और गृह मंत्रालय जरुर कोई निर्णय लेगा. बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को बीते आठ महीनों से पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में रखा गया है. इन सभी नेताओं को राज्य में धारा 370 को हटाए जाने के बाद हिरासत में लिया गया था.
जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटाने के आठ महीने बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) को रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद उन्होंने महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की रिहाई की मांग की है. उन्होंने ट्वीट लिखा है कि “महबूबा मुफ्ती और अन्य को नजरबंद रखना बेहद क्रूर है. उन्होंने लिखा देश में लॉकडाउन है, उन्होंने लिखा है कि पहली बार में सभी को हिरासत में लेना भी ठीक नहीं था. मैं उम्मीद करता हूं कि पीएम मोदी और गृह मंत्रालय जरुर कोई निर्णय लेगा. बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को बीते आठ महीनों से पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में रखा गया है. इन सभी नेताओं को राज्य में धारा 370 को हटाए जाने के बाद हिरासत में लिया गया था.
बता दें कि इससे पहले रिहाई के बाद उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा था कि इस केंद्रशासित प्रदेश के भीतर एवं बाहर हिरासत में रखे गए लोगों की रिहाई के साथ ही हाईस्पीड मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल की जाए. वहीं फारूक अब्दुल्ला ने उमर की पीएसए के तहत हिरासत को समाप्त किये जाने पर खुशी जताई, लेकिन कहा कि जब तक सभी राजनीतिक बंदियों को नहीं छोड़ा जाता तब तक इन हालात से पूरी तरह छुटकारा नहीं मिलेगा. उमर से पहले पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को 221 दिन की हिरासत में रखने के बाद 13 मार्च को रिहा कर दिया गया था.
गौरतलब हो कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) को नजरबंद किया गया था. अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने और जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेकर उसे अलग-अलग दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर व लद्दाख बनाए जाने के बाद सूबे में किसी भी प्रकार की खलल न पड़े इसलिए कई नेताओं को सरकार ने नजरबंद कर दिया गया था. लेकिन जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होने लगी वैसे ही कई नेताओं को रिहा कर दिया गया.