Budget 2022: 38 फीसदी लोगों ने कहा, सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर उम्मीद से ज्यादा खराब प्रदर्शन किया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Photo Credit : Twitter)

Budget 2022, नई दिल्ली, 31 जनवरी: आईएएनएस-सीवोटर ने बजट से पहले एक सर्वें (IANS-CVoter Pre-Budget Survey) किया है, जिसके अनुसार, अधिकांश उत्तरदाताओं ने कहा है कि पिछले साल की तुलना में मौजूदा खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है. Economic Survey 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वे, 8-8.5 फीसदी रह सकती है GDP ग्रोथ

38 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने आर्थिक मोर्चे (Economic Front) पर अब तक उम्मीद से ज्यादा खराब प्रदर्शन किया है. 36.4 फीसदी ने कहा कि प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक रहा, जबकि 25.6 फीसदी ने कहा कि यह आर्थिक मोर्चे पर उम्मीद से काफी बेहतर है.

सर्वेक्षण में शामिल 65.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि पिछले साल की तुलना में मौजूदा खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है. 26.9 प्रतिशत ने कहा कि खर्च बढ़ गया है लेकिन अभी भी प्रबंधनीय है, जबकि 7.4 प्रतिशत ने कहा कि खर्च कम हो गया है.

आईएएनएस-सीवोटर प्री-बजट सर्वेक्षण के अनुसार, कम से कम 57.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि आय में कमी आई है, जबकि पिछले एक साल में खर्च बढ़ा है.

20 फीसदी ने कहा कि आय वही रही, जबकि खर्च बढ़ा. 11.5 प्रतिशत ने कहा कि आय में वृद्धि हुई जबकि व्यय में भी वृद्धि हुई.

आईएएनएस सीवोर्ट बजट पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, अगले एक वर्ष में आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होने पर राय विभाजित है.

जबकि 37.7 प्रतिशत ने कहा कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, 31 प्रतिशत ने कहा कि यह वही रहेगा और 31.3 प्रतिशत ने कहा कि यह बिगड़ जाएगा.

आईएएनएस-सीवोटर पूर्व बजट सर्वेक्षण में कम से कम 62.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा है कि मुद्रास्फीति अनियंत्रित रही है और मोदी सरकार के तहत कीमतें बढ़ी हैं.

सर्वेक्षण का नमूना आकार 3000 प्लस है और समयरेखा 23 जनवरी से 28 जनवरी, 2022 के बीच है.

केंद्रीय बजट से एक दिन पहले, सर्वेक्षण से पता चलता है कि लोग मुद्रास्फीति, जीवन की गुणवत्ता और आय से जूझ रहे हैं.

सर्वेक्षण में 27.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि मुद्रास्फीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत कम हो गई हैं, जबकि 10.1 प्रतिशत ने कहा कि कुछ भी नहीं बदला है और कीमतें वही रहती हैं.

एक अन्य प्रश्न पर, 49.3 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक वर्ष में मुद्रास्फीति की स्थिति का उनके जीवन की गुणवत्ता पर 'बहुत अधिक' प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

42.3 प्रतिशत ने कहा कि मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल प्रभाव थोड़ा सा है, जबकि 8.3 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक वर्ष में जीवन की गुणवत्ता पर मुद्रास्फीति का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.

जीवन की गुणवत्ता पर 42.4 प्रतिशत ने कहा कि आम आदमी के जीवन की समग्र गुणवत्ता पिछले एक साल में खराब हुई है.

32.8 प्रतिशत ने कहा कि यह पहले की तरह ही बना हुआ है जबकि 24.8 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक साल में जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है.