Manipur CM Leaked Audio Tapes: मणिपुर में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने भड़काई हिंसा? सुप्रीम कोर्ट ने मांगी सरकारी फोरेंसिक रिपोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के लीक हुए ऑडियो टेप्स पर सरकारी फोरेंसिक प्रयोगशाला (CFSL) से रिपोर्ट मांगी है. एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इन ऑडियो टेप्स में मुख्यमंत्री की आवाज़ है, जिन्होंने मणिपुर में हिंसा भड़काने का काम किया. यह याचिका कुकी जनजाति के एक संगठन ने दायर की है.

आज सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति पी.वी. संजय कुमार ने सवाल उठाया कि क्या उन्हें इस मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए, क्योंकि जब वे सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए थे, तब मणिपुर के मुख्यमंत्री ने उनके सम्मान में एक डिनर आयोजित किया था. इस पर याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि न्यायमूर्ति कुमार को खुद को अलग करने की जरूरत नहीं है.

प्रशांत भूषण ने कहा, "कोई समस्या नहीं है, बिल्कुल नहीं." वह कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट की तरफ से पेश हुए और उन्होंने बताया कि नॉन-प्रॉफिट संगठन 'ट्रुथ लैब्स' ने पुष्टि की है कि ऑडियो टेप्स में 93% आवाज़ मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की है.

ट्रुथ लैब्स, जिसकी स्थापना 2007 में हुई थी, भारत की पहली गैर-सरकारी पूर्ण फोरेंसिक प्रयोगशाला है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना भी शामिल हैं, ने सुनवाई जारी रखी है.

मणिपुर में हाल के महीनों में हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें कुकी और मैतेई समुदायों के बीच तनाव बढ़ा है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने ऑडियो टेप्स के माध्यम से हिंसा को प्रोत्साहित किया. हालांकि, मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि यह एक साजिश है.

सुप्रीम कोर्ट ने CFSL से रिपोर्ट मांगी है, जो ऑडियो टेप्स की प्रामाणिकता की जांच करेगी. इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट आगे की कार्रवाई करेगा. इस मामले में अगली सुनवाई जल्द ही होने की उम्मीद है.

क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?

यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक राज्य के मुख्यमंत्री पर हिंसा भड़काने का गंभीर आरोप लगाया गया है. साथ ही, यह मामला न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को भी परखता है.

इस मामले का फैसला न केवल मणिपुर बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह राजनीतिक नेतृत्व और जिम्मेदारी के सवालों को उठाता है.