बिहार के सीट शेयरिंग फॉर्मूला पर राजनीति जोरों पर हैं. इसके चलते NDA जहां अपने पुराने साथियों को खो रही हैं तो वहीं कांग्रेस के महागठबंधन की नींव मजबूत हो रही है. महागठबंधन से कांग्रेस जहां 2019 के आम चुनाव के लिए जीत का ख्वाब बुन रही हैं, तो वहीं इसके दूसरे पहलु से देखें तो यह महागठबंधन कांग्रेस को भारी भी पड़ सकता है. इस महागठबंधन की मजबूती के साथ-साथ कांग्रेस 2019 के लिए आत्मविश्वास जरुर पा रही है, लेकिन इससे कांग्रेस की खुद की सीटों का आंकडा बिगड़ सकता है. गुरुवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के महागठबंधन में शामिल होने के बाद अब सीटों के गणित में नया जोड़-तोड़ किया जाएगा.
विधानसभा चुनावों में जीत के बाद से ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 चुनाव फतेह करने की तैयारी में जुट गए हैं. महागठबंधन में आरएलएसपी का शामिल होना भी उनके आत्मविश्वास हो बढ़ा रहा है, लेकिन अब राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह होगी कि वे बिहार में सीटों का बंटवारा किस तरह करते हैं. राहुल के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी सहयोगी पार्टियों को संतुष्ट करने की होगी.
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. एनडीए से अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को इनमें से 4-5 सीटें मिल सकती हैं. हालांकि, वह छह-सात सीटों की मांग कर रहे हैं, और अगर पार्टी की यह मांग कांग्रेस द्वारा मंजूर नहीं की गई तो महागठबंधन में दरार सुनिश्चित है तो वहीं अगर यह मांग मान ली जाती है तो इसका सीधा असर कांग्रेस की सीटों पर पड़ेगा वहीं आरजेडी भी अपने हिस्से की सीटों को आरएलएसपी को सौंपना पसंद नहीं करेगी. सीटों के इस बिगड़ते गणित में कांग्रेस को 8-12 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है. बता दें कि बिहार में आरजेडी को सबसे ज्यादा 18-20 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा है. इसके अलावा जीतन राम मांझी और शरद यादव की पार्टी को भी 1-2 सीटें मिल सकती हैं.