पीएम मोदी ने बदले अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों के नाम, रॉस आईलैंड अब होगा नेताजी सुभाष चंद्र बोस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि अब हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा, जबकि नील द्वीप को शहीद द्वीप के नाम से जाना जाएगा. इसके अलावा रॉस आईलैंड को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप के नाम से जाना जाएगा.

पीएम मोदी (Photo Credit- Twitter@PIB)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रविवार को अंडमान-निकोबार पहुंचे. यहां उन्होंने सी-वॉल समेत कई परियोजनाओं की नींव रखी. पीएम मोदी ने पोर्ट ब्लेयर में रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप और रॉस द्वीप के नाम बदलने का ऐलान किया. इसके अलावा अंडमान-निकोबार को डीम्ड यूनिवर्सिटी का तोहफा दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि अब हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा, जबकि नील द्वीप को शहीद द्वीप के नाम से जाना जाएगा. इसके अलावा रॉस आईलैंड को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप (Netaji Subhas Chandra Bose Island) के नाम से जाना जाएगा.

पीएम मोदी ने कहा कि जब आजादी ने नायकों की बात आती है, तो नेताजी का नाम हमें गौरव और नई ऊर्जा से भर देता है. आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री सुभाष बाबू ने अंडमान की इस धरती को भारत की आजादी की संकल्प भूमि बनाया था. आजाद हिंद फौज ने यहां आजादी का तिरंगा फहराया था.

150 फीट ऊंचा तिरंगा फहराया

मोदी ने अंडमान-निकोबार की सेल्यूलर जेल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी. वीर सावरकर की कोठरी को भी देखा. ब्रिटिश शासन में कालापानी की सजा के दौरान वीर सावरकर यहीं रहे थे. मोदी ने पोर्ट ब्लेयर के साउथ पॉइंट पर 150 फीट ऊंचा तिरंगा फहराया. साथ ही मरीना पार्क में नेताजी की मूर्ति पर फूल चढ़ाए. पोर्ट ब्लेयर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 75 साल पहले तिरंगा फहराया था. तब उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप करने का सुझाव दिया था.

 नेताजी की भावनाओं को 130 करोड़ भारतवासी कर रहें हैं एकजुट 

पीएम मोदी ने कहा कि 30 दिसंबर 1943 की उस ऐतिहासिक घटना को आज 75 वर्ष पूरे हो गए हैं. आज रविवार को उसी की याद में यहां पर 150 फीट ऊंचा ध्वज फहराकर हम अपने इस दिन को देशवासियों की चिरस्मृति में अंकित करने का प्रयास किया है. गुलामी के लंबे कालखंड में अगर भारत की एकता को लेकर कोई शक और संदेह पैदा हुआ है, तो वो सिर्फ मानसिकता का प्रश्न है, संस्कारों का नहीं. सुभाष बाबू का भी ये मानना था कि हम सभी प्राचीन काल से ही एक हैं. गुलामी के समय में इस एकता में छिन्न-भिन्न करने का प्रयास जरूर हुआ है.'

पीएम मोदी ने कहा, 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस को ये दृढ़ विश्वास था कि एकराष्ट्र के रूप में अपनी पहचान पर बल देकर मानसिकता को बदला जा सकता है. आज मुझे प्रसन्नता है कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत को लेकर नेताजी की भावनाओं को 130 करोड़ भारतवासी एक करने में जुटे हैं.

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