पीएम मोदी ने कहा- संविधान को गहराई से जानने की जरूरत, इससे परिचित होना हर नागरिक का कर्तव्य
प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकार और कर्तव्यों के तालमेल का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे अधिकार हैं तो कर्तव्य भी हैं, और कर्तव्य हैं तो ही अधिकार भी उतने ही मजबूत होंगे. इसीलिए, आजादी के अमृत काल में आज देश कर्तव्यबोध की बात कर रहा है, कर्तव्यों पर इतना जोर दे रहा है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने संविधान (Constitution) को गहराई से जानने की जरूरत पर बल देते हुए कहा है कि संविधान से परिचित होना हर नागरिक का कर्तव्य है. वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय की पुस्तक 'भारतीय संविधान: अनकही कहानी' के विमोचन कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) में देश आज स्वतन्त्रता आंदोलन (Freedom Movement) के अनकहे अध्यायों को सामने लाने के लिए सामूहिक प्रयास कर रहा है. इसीलिए, आज देश के युवा, अनकहे इतिहास पर शोध कर रहे हैं, किताबें लिख रहे हैं. अमृत महोत्सव के तहत अनेकों कार्यक्रम हो रहे हैं. 'भारतीय संविधान- अनकही कहानी', ये किताब देश के इसी अभियान को एक नई ताकत देने का काम करेगी. आजादी के इतिहास के साथ साथ हमारे संविधान के अनकहे अध्याय देश के युवाओं को एक नई सोच देंगे, उनके विमर्श को व्यापक बनाएंगे. Gujarat: पीएम मोदी ने 21 हजार करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन किया, कहा- वडोदरा ने मां की तरह पाला
प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकार और कर्तव्यों के तालमेल का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे अधिकार हैं तो कर्तव्य भी हैं, और कर्तव्य हैं तो ही अधिकार भी उतने ही मजबूत होंगे. इसीलिए, आजादी के अमृत काल में आज देश कर्तव्यबोध की बात कर रहा है, कर्तव्यों पर इतना जोर दे रहा है.
उन्होने संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को होने का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी मिलने से इतना पहले ही देश ने आजादी की तैयारी शुरू कर दी थी, अपने संविधान की रूपरेखा के लिए विमर्श शुरू कर दिया था. ये दिखाता है कि भारत का संविधान केवल एक पुस्तक नहीं है, ये एक विचार है, एक निष्ठा है, स्वतंत्रता का एक विश्वास है.
उन्होंने इस पुस्तक के जरिए देश के सामने संविधान के और भी व्यापक रूप आने की उम्मीद जाहिर करते हुए लेखक और इसके प्रकाशन से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई भी दी.