वैश्विक जलवायु सम्मेलन में बोले PM Modi- भारत ने 2005 के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन की गति को 21% कम किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "हमने साल 2005 के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन की गति को 21 प्रतिशत कम किया है." मोदी ने यह भी कहा कि भारत न केवल अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है, बल्कि इससे कहीं अधिक अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहा है.

पीएम मोदी (Photo Credits: ANI/File)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने कहा कि "हमने साल 2005 के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन की गति को 21 प्रतिशत कम किया है." मोदी ने यह भी कहा कि भारत न केवल अपने पेरिस समझौते (Paris Agreement) के लक्ष्यों को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है, बल्कि इससे कहीं अधिक अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने के मौके पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और ब्रिटेन की ओर से आयोजित किए गए वैश्विक जलवायु सम्मेलन में अपने विचार रखे. भारत न केवल पेरिस समझौते के अपने लक्ष्यों को हासिल करने बल्कि उन्हें पार करने की राह में: पीएम मोदी

सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमने साल 2005 के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन की गति को 21 प्रतिशत कम किया है. हमारी सौर ऊर्जा क्षमता वर्ष 2014 में 2.63 गीगा वाट थी, जो साल 2020 तक आते आते बढ़कर 36 गीगा वाट हो गई है. हमारी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विश्व में चौथे स्थान पर है और यह साल 2022 से पहले बढ़कर 175 गीगा वाट हो जाएगी."

प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने के मौके पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित किए गए वैश्विक जलवायु सम्मेलन में अपने विचारों से भविष्य का खाका खींचा. उन्होंने कहा, "आज जैसे-जैसे हम अपनी ²ष्टि को और भी ऊंचा करते जा रहे हैं, वैसे-वैसे हमें हमारे अतीत को भी नहीं देखना चाहिए. हमें न केवल अपनी महत्वाकांक्षाओं में बदलाव लाना चाहिए, बल्कि पहले से निर्धारित लक्ष्यों में अपनी उपलब्धियों की समीक्षा भी करनी चाहिए."

उन्होंने कहा कि 2047 में भारत एक आधुनिक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएगा. मोदी ने कहा, "इस ग्रह के सभी निवासियों के लिए, मैं आज एक शपथ लेता हूं कि सौ साल का भारत न केवल अपने लक्ष्यों को पूरा करेगा, बल्कि आपकी उम्मीदों को भी पूरा करेगा."

मालूम हो कि जलवायु परिवर्तन और उससे उत्पन्न दुष्प्रभावों से निपटने के लिए पहली बार सभी देश कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के तहत एकजुट हुए थे. पेरिस में साल 12 दिसंबर 2015 को 196 देशों ने इसे स्वीकार किया था और यह चार नवंबर, 2016 से लागू किया गया था.

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