नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने श्रीमद्भगवद्गीता (Srimad Bhagavadgita) की पांडुलिपि (Manuscript) के साथ इसके श्लोकों पर 21 विद्वानों के भाष्य जारी किये. इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा तथा धर्मार्थ ट्रस्ट, जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष ट्रस्टी डॉ करण सिंह भी उपस्थित थे. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और बांग्लादेश को जोड़ने वाले ‘मैत्री सेतु’ का किया उद्घाटन
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारतीय दर्शन पर डॉ करण सिंह द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि उनके प्रयास ने जम्मू और कश्मीर की पहचान को पुनर्जीवित किया है, जिसने सदियों से पूरे भारत की विचार परंपरा का नेतृत्व किया है. उन्होंने कहा कि हजारों विद्वानों ने गीता के गहन अध्ययन के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है, जिसे एक ग्रन्थ के प्रत्येक श्लोक पर विभिन्न व्याख्याओं के विश्लेषण और विभिन्न रहस्यों की अभिव्यक्ति के रूप में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह भारत की वैचारिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता का भी प्रतीक है, जो प्रत्येक व्यक्ति को अपना दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित करता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को एकजुटता प्रदान करने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा. रामानुजाचार्य जैसे संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में गीता को सामने रखा था. स्वामी विवेकानंद के लिए, गीता अटूट परिश्रम और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है. श्री अरबिंदो के लिए, गीता ज्ञान और मानवता का सच्चा अवतार थी. गीता, महात्मा गांधी के सबसे कठिन समय में प्रकाशस्तम्भ थी. गीता, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की देशभक्ति और वीरता की प्रेरणा रही है. गीता पर बाल गंगाधर तिलक की व्याख्या ने स्वतंत्रता संग्राम को नई ताकत दी थी.
Releasing Manuscript with commentaries by 21 scholars on Shlokas of the sacred Gita. https://t.co/aS6XeKvWuc
— Narendra Modi (@narendramodi) March 9, 2021
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लोकतंत्र हमें विचारों की स्वतंत्रता, कार्य की स्वतंत्रता और जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार देता है. यह स्वतंत्रता लोकतांत्रिक संस्थानों से आती है, जो हमारे संविधान के संरक्षक हैं. इसलिएजब भी हम अपने अधिकारों की बात करते हैं, हमें अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों को भी याद रखना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता पूरी दुनिया और हर प्राणी के लिए एकमहत्वपूर्ण पुस्तक है. इसका कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है और कई देशों में कई अंतरराष्ट्रीय विद्वानों द्वारा इसपर अनुसंधान किये जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान साझा करना भारत की संस्कृति में है. उन्होंने कहा कि गणित, वस्त्र, धातु विज्ञान या आयुर्वेद में हमारे ज्ञान को हमेशा मानवता के धन के रूप में देखा जाता है. आज एक बार फिर से, भारत पूरी दुनिया की प्रगति में योगदान करने और मानवता की सेवा करने के लिए अपनी क्षमता का निर्माण कर रहा है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भारत के योगदान को पूरी दुनिया ने देखा है. उन्होंने निष्कर्ष के तौर पर कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए किये जा रहे प्रयासों के इस योगदान से पूरी दुनिया को व्यापक स्तर पर मदद मिलेगी.