Nirbhaya Gangrape Case: दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई आज
दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग करते छात्र (Photo Credit-PTI)

नई दिल्ली: 16 दिसंबर, 2012 को राष्ट्रीय राजधानी में देश को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Gangrape Case) में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अहम सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी. अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की मांग की है. अक्षय को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट इसी साल 9 जुलाई को इस मामले के तीन और दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिका खारिज चुका है. चारों आरोपियों को 2017 में मौत की सजा सुनाई गई थी.

यह सुनवाई बेहद अहम होगी, इस पुनर्विचार याचिका के खारिज होने के बाद चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को जल्द फांसी पर लटका दिया जाएगा. दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय दोषियों की याचिका खारिज कर चुका है. अब राष्ट्रपति के पास से दया याचिका खारिज होने के बाद चारों दोषियों अक्षय, विनय, पवन और मुकेश के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा.

तिहाड़ में फांसी की तैयारियां

इस बीच तिहाड़ जेल में दोषियों की फांसी को लेकर हलचल तेज है. इस मामले के चौथे दोषी विनय को मंडोली जेल से तिहाड़ शिफ्ट किया गया है. तीनों एनी दोषी मुकेश, पवन और अक्षय पहले से ही तिहाड़ में बंद हैं. फांसी देने की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन जेल प्रशासन ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. इसके लिए फांसी के चार तख्त तैयार किए गए हैं. साथ ही इसका ट्रायल भी कर लिया गया.

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निर्भया गैंगरेप को 7 साल हुए पूरे

निर्भया गैंगरेप केस 16 दिसंबर 2012 का है. बीते मंगलवार (16 दिसंबर 2019) को इस घटना को सात साल पूरे हो चुके हैं. सात साल पहले 16 दिसंबर की रात दिल्ली में चलती बस में एक लड़की का बर्बरता से रेप किया गया. गैंगरेप के बाद निर्भया 13 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझती रही. जिंदगी से जंग करते-करते 29 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया था. 31 अगस्‍त 2013 को निर्भया के केस में आरोपी कोर्ट में दोषी साबित हुए थे.

चारों आरोपियों को दोषी मानकर उन्‍हें मौत की सजा सुनाई गई थी. वहीं, एक आरोपी ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्‍महत्‍या कर ली थी. दिल्‍ली हाई कोर्ट ने फास्‍ट ट्रैक कोर्ट का फैसला मानते हुए आरोपियों की मौत की सजा को बरकरार रखा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मई 2017 में चारों आरोपियों की मौत की सजा को बरकरार रखा था. जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने रिव्‍यू पीटीशन को भी खारिज कर दिया था.