मूडीज की निगेटिव रेटिंग के बाद सुस्त पड़ा शेयर बाजार, सरकार ने किया निवेश में तेजी आने का दावा
अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती के बीच अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने भारत की रेटिंग पर अपना परिदृश्य (Outlook) बदलते हुए इसे ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि पहले के मुकाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका है.
मुंबई: अर्थव्यवस्था (Economy) में छाई सुस्ती के बीच अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moodys) इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने भारत की रेटिंग पर अपना परिदृश्य (Outlook) बदलते हुए इसे ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि पहले के मुकाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका है. उधर, इस खबर का नकारात्मक प्रभाव घरेलू बाजार पर पड़ा है. शेयर मार्केट (Share Market) शुक्रवार सुबह से ही लाल निशान पर कारोबार कर रहा है.
मिली जानकारी के मुताबिक सेंसेक्स शुक्रवार को शुरुआती कारोबार के दौरान करीब 150 अंक टूटा, जबकि निफ्टी भी फिसलकर 12,000 के नीचे पहुँच गई. दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर सेंसेक्स करीब 138 अंकों की गिरावट के साथ 40 हजार 517 और निफ्टी भी लगभग 51 अंकों की गिरावट के साथ 11 हजार 960 पर कारोबार कर रहा था.
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 30 शेयरों वाला प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी ने बीते सत्र में रिकॉर्ड कारोबार किया. जिससे निवेशकों को मोटा मुनाफा हुआ. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए तेल की बढ़ी हुई कीमतें बड़ा खतरा
उधर, मूडीज की रेटिंग के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत बने रहेंगे और सरकार की ओर से किए गए उपायों से निवेश में तेजी आएगी. मूडीज के रेटिंग परिदृश्य को ' स्थिर ' से ' नकारात्मक ' करने के बाद वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. भारत की आपेक्षिक स्थिति स्थिर बनी हुई है.
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के हालिया विश्व आर्थिक परिदृश्य की रिपोर्ट का भी जिक्र किया. बयान में कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है और यह 2020 में बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच सकती है.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मूडीज ने 2019-20 में भारत के जीडीपी ग्रोथ की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 प्रतिशत से घटाकर 5.80 प्रतिशत कर दिया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित हुई है, जिससे उबरने में समय लग सकता है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)