Modi Govt Remove India Word? भारत के संविधान से 'इंडिया' शब्द हटा सकती है मोदी सरकार, विशेष सत्र में आ सकता है बिल

आजादी के अमृतकाल में गुलामी की मानिसकता और गुलामी से जुड़े हर प्रतीक से देश और देशवासियों को मुक्ति दिलाने के मिशन में जुटी मोदी सरकार आने वाले दिनों में भारत के संविधान से 'इंडिया' शब्द को भी हटाने की तैयारी में जुट गई है

(Photo Credits: ANI)

Modi Govt Remove India Word: आजादी के अमृतकाल में गुलामी की मानिसकता और गुलामी से जुड़े हर प्रतीक से देश और देशवासियों को मुक्ति दिलाने के मिशन में जुटी मोदी सरकार आने वाले दिनों में भारत के संविधान से 'इंडिया' शब्द को भी हटाने की तैयारी में जुट गई है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार आगामी 18 से 22 सितंबर के दौरान आयोजित किए जाने वाले संसद के विशेष सत्र में इस प्रस्ताव से जुड़े बिल को पेश कर सकती है. हालांकि, भारत में आयोजित जी-20 के सफल सम्मलेन, वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे भारत के कद, चंद्रयान-3 को लेकर मिली ऐतिहासिक कामयाबी और आजादी के अमृत काल में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन और रोडमैप को लेकर संसद के इस विशेष सत्र में चर्चा होने की संभावना है.

लेकिन, बताया जा रहा है कि भारत के संविधान से 'इंडिया' शब्द को हटाना भी मोदी सरकार के एजेंडे में शामिल हो सकता है. संसद के आगामी विशेष सत्र का एजेंडा आधिकारिक तौर पर आना अभी बाकी है. यह भी पढ़े: Uniform Civil Code Soon? मोदी सरकार का बड़ा दांव, मानसून सत्र में पेश हो सकता है समान नागरिक संहिता बिल

दरअसल, सरकार ने अमृत काल में संसद का विशेष सत्र बुलाया है. 17वीं लोकसभा के इस 13वें सत्र और राज्यसभा के 261 वें सत्र के दौरान 18 से 22 सितंबर के बीच 5 बैठकें होनी है. सूत्रों की माने तो, भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में 'इंडिया, दैट इज भारत' यानी ' इंडिया अर्थात भारत' के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से सरकार 'इंडिया' शब्द को निकाल कर सिर्फ 'भारत' शब्द को ही रहने देने पर गंभीरता से विचार कर रही है.

आपको याद दिला दें कि, हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लोगों से 'इंडिया' की जगह 'भारत' नाम इस्तेमाल करने की अपील करते हुए यह कहा था कि इस देश का नाम सदियों से भारत है, इंडिया नहीं और इसलिए हमें इसका पुराना नाम ही इस्तेमाल करना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अमृत काल के जिन पंच प्रण पर जोर देते रहते हैं उसमें से एक प्रण गुलामी की मानसिकता से मुक्ति भी है. इसके तहत सरकार शिक्षा नीति से लेकर प्रतीक चिन्हों, गुलामी से जुड़ी सड़कों एवं जगहों के नाम, औपनिवेशिक सत्ता से जुड़े लोगों की मूर्तियों को हटाकर भारतीय महापुरुषों की मूर्तियों को स्थापित करने जैसे अनगिनत काम कर रही है.

इसी मिशन के तहत मोदी सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त 2023 को लोकसभा में 1860 में बने आईपीसी,1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट को गुलामी की निशानी बताते हुए इन तीनों विधेयकों की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों - भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को पेश किया था.

संसद के मानसून सत्र के दौरान ही भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भी उच्च सदन में विशेष उल्लेख के जरिए इंडिया नाम को औपनिवेशिक दासता का प्रतीक बताते हुए इंडिया दैट इज भारत हटाकर केवल भारत शब्द का उपयोग करने की मांग की थी.

दरअसल, भाजपा के कई बड़े नेताओं का यह मानना है कि आजादी के अमृत काल का यह सही समय है जब इंडिया के नाम से मुक्ति पाकर देश को उसका प्राचीन नाम 'भारत' दिया जा सकता है. संघ का शीर्ष नेतृत्व भी इसी तरह की इच्छा व्यक्त कर चुका है और सार्वजनिक तौर पर बयान देकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस मांग को और ज्यादा बल दे दिया है.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मानूसन सत्र के दौरान 25 जुलाई, 2023 को भाजपा संसदीय दल की बैठक में विपक्षी दलों द्वारा अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखने पर कटाक्ष करते हुए यह कह चुके हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन नेशनल कांग्रेस तो अंग्रेजो ने बनाया था, इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना आतंकवादियों ने की थी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठनों में भी इंडिया लगा हुआ है.

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