Meri Mati Mera Desh Campaign: आज से राष्ट्रव्यापी में वीर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान की शुरुवात, जानें पूरी जानकारी
देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज राष्ट्रव्यापी 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान शुरू किया जाएगा। यह अभियान 30 अगस्त तक चलेगा, बता दें की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को घोषणा की कि देश के शहीदों के सम्मान में स्वतंत्रता दिवस से पहले ‘मेरी माटी, मेरा देश’ अभियान शुरू किया जाएगा.
'Meri Mati Mera Desh' Campaign: देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज राष्ट्रव्यापी 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान शुरू किया जाएगा. यह अभियान 30 अगस्त तक चलेगा, बता दें की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को घोषणा की कि देश के शहीदों के सम्मान में स्वतंत्रता दिवस से पहले ‘मेरी माटी, मेरा देश’ अभियान शुरू किया जाएगा. आकाशवाणी पर प्रसारित मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 103वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए मोदी ने कहा कि हर जगह ‘अमृत मोहत्सव’ की गूंज है और 15 अगस्त पास ही है तो देश में एक और बड़ा अभियान शुरू किया जा रहा है. यह भी पढ़ें: Video: सूरत में एक विद्यालय के छात्रों ने 'मेरी माटी, मेरा देश' के नारे को किया उजागर, भारत के मानचित्र के आकार में बनाई मानव श्रृंखला
उन्होंने कहा, ‘‘शहीद वीर-वीरांगनाओं को सम्मान देने के लिए ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान शुरू होगा.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों की याद में पूरे भारत में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और लाखों ग्राम पंचायतों में विशेष शिलालेख भी स्थापित किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि ‘मेरी माटी, मेरा देश’ अभियान के अंतर्गत देशभर में अमृत कलश यात्रा आयोजित की जाएगी. मोदी ने कहा, ‘‘देश के गांव-गांव से, कोने-कोने से 7,500 कलशों में मिट्टी लेकर यह ‘अमृत कलश यात्रा’ देश की राजधानी दिल्ली पहुंचेगी. यह यात्रा अपने साथ देश के अलग-अलग हिस्सों से पौधे लेकर भी आएगी.’’
उन्होंने कहा कि कलश में आई माटी और पौधों के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के समीप ‘अमृत वाटिका’ का निर्माण किया जाएगा. मोदी ने कहा, ‘‘यह अमृत वाटिका ‘एक भारत-श्रेठ भारत का’ भी बहुत ही भव्य प्रतीक बनेगी. मैंने पिछले साल लाल किले से अगले 25 वर्षों के अमृतकाल के लिए ‘पंच प्रण’ की बात की थी. ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान में हिस्सा लेकर हम इन ‘पंच प्रणों’ को पूरा करने की शपथ भी लेंगे.’’
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से देश की पवित्र मिट्टी को हाथ में लेकर शपथ लेते हुए अपनी सेल्फी को वेबसाइट ‘युवा डॉट गॉव डॉट इन’ पर अपलोड करने की अपील भी की. मोदी ने पिछले साल की तरह इस साल भी ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में लोगों से बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बार भी फिर से, हर घर तिरंगा फहराना है, और इस परंपरा को लगातार आगे बढ़ाना है. इन प्रयासों से हमें अपने कर्तव्यों का बोध होगा. देश की आजादी के लिए दिए गए असंख्य बलिदानों का बोध होगा. आजादी के मूल्य का एहसास होगा. इसलिए, हर देशवासी को इन प्रयासों से जरूर जुड़ना चाहिए.’’
प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम महिलाओं के बिना ‘महरम’ (पुरुष साथी) हज यात्रा करने को एक ‘बड़ा बदलाव’ करार देते हुए इसका श्रेय हज नीति में किए गए परिवर्तन को दिया.मोदी ने कहा कि इस बार उन्हें हज यात्रा से लौटी महिलाओं के कई पत्र भी मिले हैं, जो मन को बहुत ही संतोष देते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ये वे महिलाएं हैं, जिन्होंने हज यात्रा बिना महरम पूरी की. ऐसी महिलाओं की संख्या सौ-पचास नहीं, बल्कि 4,000 से ज्यादा है. यह एक बड़ा बदलाव है.’’ मोदी ने कहा कि पहले मुस्लिम महिलाओं को बिना महरम ‘हज’ करने की इजाजत नहीं थी. इस्लाम में महरम वह पुरुष होता है, जो महिला का पति या ख़ून के रिश्ते में हो.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बीते कुछ वर्षों में हज नीति में जो बदलाव किए गए हैं, उनकी भरपूर सराहना हो रही है. हमारी मुस्लिम माताओं और बहनों ने इस बारे में मुझे काफी कुछ लिखा है. अब, ज्यादा से ज्यादा लोगों को हज पर जाने का मौका मिल रहा है.’’ उन्होंने कहा कि हज यात्रा से लौटे लोगों ने, खासकर माताओं और बहनों ने चिट्ठी लिखकर जो आशीर्वाद दिया है, वह अपने आप में बहुत प्रेरक है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ‘मन की बात’ के माध्यम से सऊदी अरब सरकार का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं कि उसने बिना महरम हज यात्रा पर गई महिलाओं के लिए विशेष रूप से महिला समन्वयकों की नियुक्ति की.
मोदी ने इस दौरान जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए देश के विभिन्न इलाकों में हो रहे प्रयासों का जिक्र किया और देशवासियों से इन अभियानों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की भी अपील की. प्रधानमंत्री ने सावन के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि इस वजह से देश के ज्योर्तिलिंग क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ भी हो रही है.
मोदी ने कहा, “बारिश का यही समय वृक्षारोपण और जल संरक्षण के लिए भी उतना ही जरूरी होता है. आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान बने 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों में भी रौनक बढ़ गई है. अभी 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाने का काम जारी है. हमारे देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ जल संरक्षण के लिए नए-नए प्रयास कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के पकरिया गांव में जनजातीय समुदाय के लोगों द्वारा सौ कुओं को पुनर्विकसित करने और उत्तर प्रदेश में एक दिन में 30 करोड़ पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बनाए जाने का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास जन-भागीदारी के साथ-साथ जन-जागरण के भी बड़े उदाहरण हैं.
मोदी ने कहा, “मैं चाहूंगा कि हम सभी पेड़ लगाने और पानी बचाने के इन प्रयासों का हिस्सा बनें.”सावन के महीने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि देश के लोगों की आस्था और यहां की परंपराओं का एक पहलू और भी है कि ये जीवन को गतिशील बनाती हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘सावन में शिव आराधना के लिए कितने ही भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं. सावन की वजह से इन दिनों 12 ज्योतिर्लिंग क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. आपको यह जानकार भी अच्छा लगेगा कि बनारस पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी रिकॉर्ड तोड़ रही है. अब काशी में हर साल 10 करोड़ से ज्यादा पर्यटक पहुंच रहे हैं.’’
मोदी ने कहा कि इसी तरह अयोध्या, मथुरा और उज्जैन जैसे तीर्थस्थलों की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने कहा, ‘‘इससे लाखों लोगों का रोजगार भी मिल रहा है. उनका जीवनयापन हो रहा है. यह सब हमारे सांस्कृतिक जनजागरण का परिणाम है. इसके दर्शन के लिए अब तो पूरी दुनिया के लोग हमारे तीर्थस्थलों पर आ रहे हैं.’’
प्रधानमंत्री ने अमरनाथ गुफा मंदिर की यात्रा करने वाले दो अमेरिकी नागरिकों का उल्लेख करते हुए कहा कि यही भारत की खासियत है कि वह सबको अपनाता है, सबको कुछ न कुछ देता है इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने फ्रांस की 100 वर्षीय महिला शारलोट शोपा से पेरिस में हुई अपनी मुलाकात का जिक्र किया और बताया कि वह इस उम्र में भी योगाभ्यास करती हैं तथा इसे अपने बेहतर स्वास्थ का कारण मानती हैं.
मोदी ने कहा, ‘‘हम न केवल अपनी विरासत को अंगीकार करें, बल्कि उसे जिम्मेदारी से साथ विश्व के सामने प्रस्तुत भी करें। अपनी परंपराओं, अपनी धरोहरों को जीवंत रखने के लिए हमें उन्हें सहेजना होता है, उन्हें जीना होता है, उन्हें अगली पीढ़ी को सिखाना होता है.” उन्होंने इस दिशा में देश में हो रहे प्रयासों पर प्रसन्नता जताई.
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