2021 के चुनावी दंगल की 'Man Of The Match' रही ममता बनर्जी, प्रधानमंत्री मोदी समेत पूरे भारतीय जनता पार्टी के सामने चट्टान की तरह रही डटे
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( Photo Credit : ANI )

नई दिल्ली, 31 दिसम्बर : हमने आईएएनएस-सीवोटर में 2021 में भारत पर हावी होने वाले मुद्दों को ट्रैक किया और पिछले एक साल में हमारे उतार-चढ़ाव को उजागर करने वाली महत्वपूर्ण चीजों के साथ खुद को उत्साहित और उदास दोनों पाया. हम आपके लिए ऐसी 12 कहानियां लेकर आए हैं, जो एक तरह से परस्पर जुड़ी हुई हैं मगर फिर भी पूरी तरह से अलग हैं. ये 2021 के सर्वश्रेष्ठ और सबसे बुरे को परिभाषित करती हैं. आईएएनएस-सीवोटर ट्रैकर में, पश्चिम बंगाल में 54 प्रतिशत मतदाता चाहते थे कि ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी रहें और इसके परिणामस्वरूप 2021 के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीटें जीती, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को अपमानजनक हार मिली.

यह न केवल यह दर्शाता है कि 'खेला होबे' क्वीन अपने घरेलू मैदान में अजेय है, बल्कि मजबूत क्षेत्रीय नेता कम से कम विधानसभा चुनावों में तो भाजपा को चुनौती दे ही सकते हैं और जीत भी सकते हैं. यह एक प्रकार से गांधी वंश को भी आईना दिखाने वाली बात है, क्योंकि भव्य पुरानी पार्टी और वाम मोर्चा शून्य पर निपट गया. केरल, असम, तमिलनाडु और पुडुचेरी जैसे महत्वपूर्ण राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव हुए. लेकिन किसी तरह, जनता और मीडिया का ध्यान काफी हद तक पश्चिम बंगाल पर केंद्रित था. ऐसा इसलिए है, क्योंकि बीजेपी समर्थकों को यकीन हो गया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां उसने करीब 40 फीसदी वोट हासिल किए थे, वहां मजबूत प्रदर्शन के बाद विधानसभा चुनाव में पूर्वी गढ़ गिरने को तैयार है. यह भी पढ़ें : ममता बनर्जी को पाटा पिच नहीं देगी बीजेपी, कार्यकर्तार्ओं का उत्साह बढ़ाने पश्चिम बंगाल जाएंगे जेपी नड्डा, बढ़ सकती है TMC की टेंशन

हालांकि ऐसा हो नहीं पाया, मगर तृणमूल से भाजपा में शामिल हुए और कभी बनर्जी के विश्वासपात्र रहे सुवेंदु अधिकारी ने ममता को हरा दिया. भाजपा 77 सीटों पर जीत हासिल करते हुए राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बनी और उसने 'कुछ भी नहीं' से तो कहीं शानदार लाभ कमाया. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि 213 का नंबर बीजेपी के आला नेताओं को लंबे समय तक परेशान करेगा. फिलहाल ममता बनर्जी की नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती हास्यास्पद लगती है, लेकिन फिर भी राजनीति में अजीब चीजें तो होती ही रहती हैं.