ममता बनर्जी मीम प्रकरण: BJP नेता प्रियंका शर्मा की रिहाई में देरी से सुप्रीम कोर्ट नाराज, पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेज मांगा जवाब
उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मीम कथित रूप से सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार भाजपा युवा मोर्चा की महिला कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई में देरी को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मीम कथित रूप से सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार भाजपा युवा मोर्चा की महिला कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई में देरी को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया.याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि शीर्ष अदालत से जमानत मिलने के बावजूद कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई में देरी की गयी।प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की खंडपीठ ने प्रियंका शर्मा के भाई राजीब शर्मा द्वारा दायर अवमानना याचिका पर राज्य सरकार और अन्यों को नोटिस जारी किये। इन सभी को चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है.
भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा को पश्चिम बंगाल पुलिस ने 10 मई को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (अवमानना) और सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों के आरोपों में मामला दर्ज किया गया था. तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता की शिकायत पर यह गिरफ्तारी हुई थी.शीर्ष अदालत की अवकाश पीठ ने 14 मई को भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा को तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने प्रियंका को यह भी निर्देश दिया था कि जेल से रिहाई के समय वह ममता बनर्जी पर मीम साझा करने के लिये ‘‘लिखित माफी’’ दें. यह भी पढ़े: प्रियंका शर्मा को पीएम मोदी ने ट्विटर पर किया फॉलो, ममता बनर्जी का मीम शेयर कर जा चुकी हैं जेल
न्यायालय का कहना था कि एक व्यक्ति की बोलने की आजादी उस बिन्दु पर खत्म हो जाती है जब वह किसी दूसरे के अधिकारों पर अतिक्रमण करती है. राजीव शर्मा के वकील ने 15 मई को अवकाशकालीन पीठ को सूचित किया कि प्रियंका को शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद 14 मई को रिहा नहीं किया गया। हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने सूचित किया था कि प्रियंका को 15 मई की सुबह 9.40 बजे जेल से रिहा किया गया. राजीब शर्मा ने न्यायालय में दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया है कि 14 मई के आदेश के बावजूद उनकी बहन की जेल से रिहाई में 24 घंटे से ज्यादा की देरी की गयी.