Maharashtra: कफन में लिपटी यूं ही छोड़ दी गई लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे अंजान लोग
कोरोना वायरस से संक्रमित होने के खतरे के कारण इस वक्त जब लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों के अंतिम दर्शन तक नहीं कर रहे हैं, उस वक्त नागपुर के कुछ लोग हैं जो शवों को अर्थी पर रखा श्मशान घाट ले जा रहे हैं और सामाजिक दायित्व मानते हुए उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं.
नागपुर, 28 अप्रैल : कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित होने के खतरे के कारण इस वक्त जब लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों के अंतिम दर्शन तक नहीं कर रहे हैं, उस वक्त नागपुर (Nagpur) के कुछ लोग हैं जो शवों को अर्थी पर रखा श्मशान घाट ले जा रहे हैं और सामाजिक दायित्व मानते हुए उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. महाराष्ट्र के अन्य जिलों की ही तरह नागपुर में भी महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है और मृतक संख्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में, सामान्य तौर पर लोग अंतिम संस्कारों में शामिल होने से बच रहे हैं, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां मृतक कोविड-19 के मरीज नहीं हैं.
हालांकि, छोटे परिवारों को इस भय के मनोविकार का दंश झेलना पड़ रहा है जो अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को जुटा पाने में संर्घष कर रहे हैं. ऐसे समय में, इको फ्रेंडली लिविंग फाउंडेशन (EELF) के विजय लिमये ऐसे लोगों की मदद के लिए सामने आए हैं जो प्रियजनों के अंतिम संस्कार के संकट में फंसे हैं. ईईएलएफ के सदस्य मृतकों की अर्थी उठाकर शवदाह गृह ले जा रहे हैं और अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं.यह भी पढ़ें : Shocking! फोन पर पुरुष से बात करने पर इस देश में महिला को सरे आम मारे गए 40 कोड़े
विजय लिमये ने पीटीआई- को बताया कि संगठन नागपुर नगर निगम (एनएमसी) के साथ मिलकर पर्यावरण अनुकूल अंतिम संस्कार करने को बढ़ावा देता है जिसके तहत लकड़ियों की बजाय कृषि अपशिष्टों एवं कृषि अवशेषों से चिता बनाई जाती हैं.