Kumbh Mela 2019: बसंत पंचमी के मौके पर कुंभ में स्नान के लिए आई महिलाओं को बांटी गई वाटरप्रूफ साड़ियां
कुंभ में महिलाओं को वाटरप्रूफ साड़ी वितरित की गई है जिससे स्नान के बाद साड़ी शरीर से चिपकती नहीं है. हिंदुस्तान यूनीलिवर के ब्रांड हमाम की ओर से एक बयान में कहा गया कि अब तक आपने जितनी भी खोज की होगी उनमें मिले अधिकांश चित्रों में साड़ी और पेटीकोट में लिपटी पवित्र डुबकी ले रही महिलाएं ही होंगी.
प्रयागराज: कुंभ (Kumbh) में महिलाओं (Women) को वाटरप्रूफ साड़ी (waterproof Sari) वितरित की गई है जिससे स्नान के बाद साड़ी शरीर से चिपकती नहीं है. हिंदुस्तान यूनीलिवर (Hindustan Uni liver) के ब्रांड हमाम की ओर से एक बयान में कहा गया कि अब तक आपने जितनी भी खोज की होगी उनमें मिले अधिकांश चित्रों में साड़ी और पेटीकोट में लिपटी पवित्र डुबकी ले रही महिलाएं ही होंगी. गीले होने के साथ ही महिलाओं के शरीर से चिपक जाने वाले कपड़े महिलाओं को ताक-झांक करने वाले लोगों की नजर में ला देते हैं.
कुंभ 2019 में अपनी पहल का विस्तार करते हुए कंपनी ने महिलाओं को घाटों पर चेंजिंग रूम्स यानी नहाने के बाद कपड़े बदलने के लिए कमरे की सुविधा मुहैया कराई, लेकिन कं पनी ने जल्द ही महसूस किया कि यह पर्याप्त नहीं है, क्योंकि नदी में डुबकी के बाद गीली और चिपकी पॉलिएस्टर या सूती साड़ी में महिलाओं को चेंजिंग रूम तक चलना पड़ता है जो महिलाओं के लिए अवांछित नजरों और यहां तक कि उनके फोटो लेने के संदर्भ में सबसे अधिक असुरक्षित हो जाता है.
ब्रांड पार्टनर, ओगिल्वी इंडिया के साथ काम करते हुए हमाम ने कुंभ में आने वाली महिलाओं के लिए वाटरप्रूफ साड़ी के रूप में एक प्रभावी समाधान तैयार किया. महिलाएं जिस साड़ी को इस्तेमाल करने में अभ्यस्त हैं, वही साड़ी वॉटरप्रूफिंग ट्रीटमेंट की एक साधारण लेयर के साथ प्रस्तुत की गई है, जो फैब्रिक को एक्वा फोबिक बनाती है. यह पवित्र संगम पर पवित्र स्नान करने वाली महिला श्रद्धालुओं के लिए वस्त्र का एक आदर्श विकल्प है. यह भी पढ़ें: Basant Panchami 2019: बसंत पंचमी के शाही स्नान पर सूर्योदय से पहले ही लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
हमाम वाटरप्रूफ साड़ी को आकर्षक पीले रंग में डिजाइन किया गया है और बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर भक्तों के लिए उपलब्ध कराया गया है, जो कि पांच सबसे महत्वपूर्ण शाही स्नान तिथियों में से एक है और जिस दिन भक्त बड़ी संख्या में अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के उद्देश्य से पवित्र डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा होते हैं.
इसे सरस्वती स्नान दिवस भी कहा जाता है, जिस दिन भक्त पारंपरिक पीले पोशाक पहनते हैं और देवी सरस्वती (विद्या और ज्ञान की देवी) की पूजा करने के लिए इस त्योहार का स्वागत करते हैं.