उधमपुर-श्रीनगर हाइवे पर हफ्ते में दो दिन गुजरेगा सुरक्षाबलों का काफिला, निजी गाड़ियों पर रहेगा प्रतिबंध

बारामूला से उधमपुर तक के राष्ट्रीय राजमार्ग पर 31 मई तक हर हफ्ते रविवार और बुधवार को प्राइवेट वाहन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे. इन दो दिनों नेशन हाईवे पर सिर्फ सुरक्षाबालों की ही मूवमेंट होगी.

उधमपुर-श्रीनगर हाइवे पर हफ्ते में दो दिन गुजरेगा सुरक्षाबलों का काफिला (Photo- Wikimedia Commons)

आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2019) से पहले सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षाबलों की मूवमेंट पर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. बारामूला से उधमपुर तक के राष्ट्रीय राजमार्ग पर 31 मई तक हर हफ्ते रविवार और बुधवार को प्राइवेट वाहन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे. इन दो दिनों नेशन हाईवे पर सिर्फ सुरक्षाबलों की ही मूवमेंट होगी. यदि कोई आपात स्थिति होगी तो उसमें जिला एवं पुलिस मिलकर कर्फ्यू के दौरान अपनाए जाने वाले नियमों को फॉलो करने के बाद अनुमति देगा. सुरक्षाबलों पर पुलवामा जैसा हमला होने की आशंका के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है.

इस फैसले के बाद हर हफ्ते रविवार और बुधवार को सुबह 4 बजे से लेकर 5 बजे तक हाईवे सिर्फ सुरक्षाबलों के काफिलों के लिए खुलेगा. यह फैसला 31 मई 2019 तक प्रभावी रहेगा. सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि श्रीनगर, काजीगुंड, जवाहर-सुरंग, बनिहाल और रामबन से होकर गुजरने वाले बारामूला-उधमपुर राजमार्ग पर नागरिक यातायात पर लगा प्रतिबंध प्रभावी होगा.

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फैसले को उमर अब्दुल्ला ने बताया पीएम मोदी की नाकामी 

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने आम लोगों के लिए जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद करने के फैसले को जम्मू कश्मीर की आंतरिक सुरक्षा को संभालने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाकामी का सबूत बताया.अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मोदी सरकार एक और मामले में पहले स्थान पर. पहली बार देरी से विधानसभा चुनावों के बाद अब यह हैरान करने वाला कदम. बीते 30 साल में राष्ट्रीय राजमार्ग को आम लोगों के यातायात के लिए कभी इस तरह से बंद नहीं किया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह जम्मू कश्मीर की आंतरिक सुरक्षा को संभालने में नाकामी की स्पष्ट स्वीकारोक्ति है.’’

बता दें कि इससे 30 मार्च को पुलवामा जैसा हमला दोहराने की कोशिश की गई. एक कथित आतंकी ने जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर बनिहाल में कार को सीआरपीएफ के काफिले के पास ले जाकर उड़ा लिया था. पुलिस इस घटना को आतंकी घटना के दृष्टिकोण से भी जांच कर रही है.इससे पहले 14 फरवरी को सेना के काफिले को निशाना बनाकर आत्मघाती हमला किया गया था. इससे आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए.

गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक एडवाजरी जारी कर कहा था कि सुरक्षाबलों के काफिले के साथ किसी आम नागरिक के कार ले जाने की अनुमति नहीं होगी. अब लोकसभा चुनाव की वजह से सुरक्षाबलों का मूवमेंट अधिक होने वाला है. जम्मू-कश्मीर में पांच चरणों में वोट डाले जाएंगे.

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