Mekadatu Dam की बात कर मुश्किलों में घिरे कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, तमिलनाडु BJP अध्यक्ष ने अपनी ही पार्टी के सीएम के खिलाफ खोला मोर्चा
कर्नाटक में महज दो दिन पहले नए मुख्यमंत्री बने बसवराज बोम्मई नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं. दरअसल बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री बनते ही राज्य में मेकादातु बांध का निर्माण करने की बात कही है.
कर्नाटक (Karnataka) में महज दो दिन पहले नए मुख्यमंत्री बने बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं. दरअसल बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री बनते ही राज्य में मेकादातु बांध (Mekadatu Dam) का निर्माण करने की बात कही है. इस बात से तमिलनाडु में राजनीति इस हद तक गरमा गई की तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने एक ही पार्टी के होने के बावजूद बसवराज सरकार के अनशन करने की धमकी दे डाली है. तमिलनाडु के बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि, हम आगामी 5 अगस्त को कर्नाटक की बसवराज सरकार के खिलाफ अनशन करेंगे.
दरअसल मेकेदातु बांध का निर्माण कावेरी डेल्टा क्षेत्र में होना है. ये वर्तमान में कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है. तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा क्षेत्र में किसानों और कृषि मजदूरों ने बीते दिनों भी कर्नाटक के मेकेदातु में कावेरी नदी पर जलाशय बनाने की पहल के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार से प्रस्तावित परियोजना को रोकने और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की भी मांग थी. इस आंदोलन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के किसान संगठन तमिलनाडु विवसायिगल संगम और कृषि मजदूरों के संगठन अखिल इंडिया विवसाय तोझिलार संगम ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया था.
इस मामले में तमिलनाडु सरकार का कहना है कि कर्नाटक को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का पालन करना चाहिए जिसमें कहा गया था कि कावेरी नदी के मुक्त प्रवाह में किसी भी तरह की रुकावट की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो डेल्टा क्षेत्र में रहने वाले किसानों के लिए पानी का प्रमुख स्रोत है.
बता दें कि मेकेदातू बांध परियोजा कुल लागत 9,000 करोड़ रुपए है. इस बांध परियोजना का कर्नाट के बंगलूरु सहित अन्य इलाकों लिये पीने के पानी का भंडारण और आपूर्ति करना है. वहीं इस परियोजना के माध्यम से लगभग 400 मेगावाट बिजली का भी लक्ष्य रखा गया है. साल 2017 में सबसे पहले कर्नाटक राज्य सरकार ने इसका अनुमोदन किया था. वहीं परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट को पहले ही जल संसाधन मंत्रालय से पहले ही मंजरी मिल चुकी है.
बता दें कि कर्नाटक की मेकेदातु परियोजना की राह में सबसे बड़ी बाधा तमिलनाडु है. दरअसल तमिलनाडु सरकार ने इस परियोजना के खिलाफ वर्ष 2018 में नई दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ याचिका दायर की और परियोजना को चुनौती दी. तमिलनाडु का तर्क है कि केंद्रीय जल आयोग ने अदालत के आदेश की अनदेखी की है. इस मामले में इससे पहले हुए एक सर्वदलीय बैठक में विपक्षी अन्नाद्रमुक चाहती थी कि राज्य सरकार मेकेदातू बांध से जुड़े सभी मामलों को अदालत की अवमानना की कार्यवाही सहित निपटा दे.