Kalpana Chawla Birth Anniversary: अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं कल्पना चावला, जानें उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से

कल्पना चावला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय मूली की महिला थीं. उन्होंने न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया में उपलब्धियां हासिल की, बल्कि तमाम छात्र-छात्राओं को उनके सपनों की उड़ान भरना सिखाया. नासा वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था.

अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला (Photo Credit-Wikimedia Commons)

Kalpana Chawla Birth Anniversary: कल्पना चावला (Kalpana Chawla) अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय मूल की महिला (First Woman Of Indian Origin To Fly To Space) थीं. उन्होंने न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया (Space World) में उपलब्धियां हासिल की, बल्कि तमाम छात्र-छात्राओं को उनके सपनों की उड़ान भरना भी सिखाया. नासा वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था. उन्होंने 1991 में संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता प्राप्त कर ली और अमेरिकी नागरिक (American Citizen) बन गईं. कल्पना जब छोटी थीं, तभी से उनकी दिलचस्पी हवाई जहाज और उड़ान में बढ़ने लगी थी. उन्हें इसके प्रति इतना अधिक प्यार था कि वो अक्सर अपने पिता के साथ स्थानीय फ्लाइंग क्लब में विमानों को देखने के लिए जाती थीं.

कोलंबिया में एसटीएस-87 मिशन (STS-87 Mission) के दौरान अंतरिक्ष यान में उड़ान भरने से पहले कल्पना चावला की भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के साथ लंबी बातचीत हुई थी. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि कल्पना हमें तुम पर गर्व है. हममें से प्रत्येक को आप जैसे व्यक्ति पर गर्व है, जिसने इस तरह के अग्रणी कार्य किए हैं. खासकर भारत के युवा और महिलाएं यह देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं कि आपने अंतरिक्ष में क्या किया है. इसके साथ ही उन्होंने कल्पना चावला को बधाई भी दी थी.

इसके साथ ही गुजराल ने कल्पना से धरती पर वापस आने के बाद भारत आने के लिए भी कहा था, लेकिन दुर्भाग्यवश 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ कल्‍पना की उड़ान हमेशा-हमेशा के लिए रुक गई. चलिए कल्पना चावला के जन्मदिवस पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें.

कल्पना चावला के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य

गौरतलब है कि कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में उड़ान भरना चाहती थीं, उनके पिता बताते हैं कि कल्पना कभी असफलताओं से घबराती नहीं थीं. वो जो ठान लेती थीं उसे पूरा करके ही दम लेती थीं. आज भले ही कल्पना हमारे बीच नहीं है. लेकिन आज भी वो हमारे देश के युवाओं और महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं.

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