joshimath Sinking: जोशीमठ में NTPC का विरोध, एनटीपीसी गो बैक के लगे नारे
जोशीमठ के स्थानीय लोगों ने एनटीपीसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं स्थानीय लोगों ने अपने आवासीय मकान सहित दुकानों में गाड़ियों में एनटीपीसी के खिलाफ एनटीपीसी गो बैक के पोस्टर लगाकर विरोध करना शुरू कर दिया है.
जोशीमठ, 14 जनवरी : जोशीमठ (joshimath) के स्थानीय लोगों ने एनटीपीसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं स्थानीय लोगों ने अपने आवासीय मकान सहित दुकानों में गाड़ियों में एनटीपीसी के खिलाफ एनटीपीसी गो बैक के पोस्टर लगाकर विरोध करना शुरू कर दिया है. जोशीमठ में हो रहे लगातार भू ध्ांसाव से एक ओर जहां जोशीमठ का अस्तित्व लगातार खतरे में हैं वही जोशीमठ के स्थानीय लोग इसका जिम्मेदार एनटीपीसी को मान रहे हैं.. स्थानीय लोगों ने एनटीपीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सड़कों पर उतरे, वही अब ग्रामीणों ने अपने आवासीय मकान, दुकानों एवं वाहनों में एनटीपीसी गो बैक पोस्टर लगाया है. दूसरी तरफ भू-धंसाव से एशिया के सबसे बड़े जोशीमठ- औली रोपवे की प्लेटफार्म पर दरारें आ गई है. खतरे को देखते हुए रोपेव का संचालन बंद कर दिया गया है. शुक्रवार रात को रोपवे पर ये दरारें आई है.
रोपवे का एक टावर प्रशासन की ओर से असुरक्षित घोषित किए क्षेत्र में है, इसके चलते रोपवे को लेकर भी आशंकाएं तेज हो गई थी. जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से जोशीमठ -औली रोपवे भी प्रभावित हो गया है. इससे पहले प्रशासन ने जहां चार वाडरे को असुरक्षित घोषित किया है, उसमें मनोहर बाग वार्ड भी है और रोपवे का एक नंबर टावर यहीं लगा है. रोपवे प्रबंधक दिनेश भट्ट का कहना था कि रोपवे के टावर की हर दिन नियमित निगरानी की जा रही है. जोशीमठ से औली तक इस रोपवे की दूरी करीब चार किमी है जिसमें 10 टावर लगे हैं. रोपवे से जोशीमठ से औली पहुंचने में 15 मिनट का समय लगता है. औली जाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद रोपवे ही रहता है. यह भी पढ़ें : दिल्ली पुलिस के ड्यूटी पर तैनात उपनिरीक्षक की कार की चपेट में आने से मौत
वहीं जोशीमठ शहर में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जोशीमठ आपदा से सबक लेते हुए प्रदेश मंत्रिमंडल ने सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) का सर्वे कराने का फैसला किया है. पहले चरण में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत क्षेत्रों में सर्वे कराने की मंजूरी दे दी है. आबादी और बेतरतीब ढंग से हो रहे निर्माण कार्यों से पर्वतीय शहरों में धारण क्षमता से अधिक दबाव बढ़ रहा है. जोशीमठ भू धंसाव के पीछे एक वजह शहर की भार वहन क्षमता से अधिक निर्माण को भी ठहराया जा रहा है.