रांची: राजनीति के रंग आए दिन बदल रहे हैं. आज कल राजनेता और पार्टी कार्यकर्ता अपने अजीबो-गरीब काम और बयान को लेकर जनता के हास्य और निंदा का केंद्र बन रहें हैं. झारखंड के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे इस कड़ी में नया नाम हैं. निशिकांत दुबे एक वीडियो और तस्वीर से खूब ट्रोल हो रहे हैं. यहां के एक कार्यकर्ता ने चापलूसी के सारे रिकार्ड्स को तोड़ते हुए सांसद के पैरों को धोकर पानी पिया.वायरल हो रहे वीडियो में पार्टी का एक कार्यकर्ता उनके पैर धोकर पानी पीता दिख रहा है. निशिकांत दुबे इसलिए भी ज्यादा ट्रोल रहे हैं क्योंकि तस्वीर खुद उन्होंने अपने फेसबुक पर लगाई है.
वीडियो वायरल होने के बाद कार्यकर्ता से पैर धुलवाने को लेकर जब विवाद पैदा हुआ तो बीजेपी सांसद ने इसमें कुछ भी गलत न बताते हुए कहा कि मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
#WATCH BJP worker washes feet of BJP Godda MP Nishikant Dubey and drinks that water, at an event in Jharkhand's Godda (16.09.18) pic.twitter.com/J2YwazQDhg
— ANI (@ANI) September 17, 2018
दरअसल, निशिकांत दुबे एक पुल के शिलान्यास कार्यक्रम में भाग ले रहे थे. इसी दौरान बीजेपी कार्यकर्ता पंकज शाह ने कहा कि सांसद ने पुल का तोहफा देकर जनता पर बहुत उपकार किया है. फिर कार्यकर्ता ने थाली और पानी मंगाकर सांसद का पैर धोना शुरू कर दिया. सांसद निशिकांत दुबे ने भी बिना किसी एतराज के पैर धोने के लिए आगे बढ़ा दिया. फिर बीजेपी कार्यकर्ता ने पहले तो उनके पांव धोए और फिर वही पानी चरणामृत बना कर पी भी लिया.
सांसद निशिकांत दुबे ने इस वाकये से जुड़ी तस्वीर फेसबुक वॉल पर पोस्ट करते हुए लिखा-आज मैं अपने आप को बहुत छोटा कायकर्ता समझ रहा हूं. बीजेपी के महान कार्यकर्ता पवन शाह जी ने पुल की ख़ुशी में हज़ारों के सामने मेरे पैर धोए. अतिथि का पैर धोना गलत है क्या. इस मामले में लोगों ने सांसद को सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरू कर दिया.
सांसद बोले कृष्ण जी ने पैर नहीं धोए थे क्या
जब कार्यकर्ता से पैर धुलवाने की तस्वीर पर विवाद मचा तो बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने फेसबुक पर सफाई दी. उन्होंने पोस्ट में लिखा-अपनों में श्रेष्ठता बांटी नही जाती और कार्यकर्ता यदि खुशी का इजहार पैर धोकर कर रहा है तो क्या गजब हुआ? उन्होंने जनता के सामने क़सम खाया था,उनको ठेस ना पहुंचे सम्मान किये. पैर धोना तो झारखंड मेंअतिथि के लिए होता ही है, सारे कार्यक्रम में आदिवासी महिलाएं क्या यह नहीं करती हैं? इसे राजनीतिक रंग क्यों दे रहे है. अतिथि का पैर धोना गलत है क्या, अपने पुरखो से पूछिए ,महाभारत में कृष्ण जी ने क्या पैर नहीं धोया था? लानत है घटिया मानसिकता पर.