जम्मू कश्मीर: आज रिहा होंगे हिरासत में लिये गए 3 नेता, पर्यटकों के लिए भी खुले घाटी के दरवाजे
घाटी के हालात सामान्य करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कश्मीर के हालात में अब सुधार हो रहा है. घाटी में लगी पाबंदिया लगातार कम की जा रही हैं. इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर प्रशासन गुरुवार को हिरासत में लिये गये तीन नेताओं को रिहा करेगा.
श्रीनगर: घाटी के हालात सामान्य करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कश्मीर के हालात में अब सुधार हो रहा है. घाटी में लगी पाबंदिया लगातार कम की जा रही हैं. इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर प्रशासन गुरुवार को हिरासत में लिये गये तीन नेताओं को रिहा करेगा. वहीं राज्य सरकार ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने से पहले पर्यटकों को कश्मीर घाटी छोड़ने की एडवाइजरी वापस ले ली है. जिन तीन नेताओं को आज रिहा किया जाएगा उनके नाम यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन हैं. इन नेताओं को अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के बाद हिरासत में लिया गया था. अधिकारियों ने बुधवार रात यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन को एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने समेत विभिन्न आधार पर रिहा किया जाएगा.
मीर पीडीपी के राफियाबाद विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रह चुके हैं, जबकि लोन ने कांग्रेस के टिकट से उत्तर कश्मीर से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने बाद में कांग्रेस छोड़ दी थी. उन्हें पीपुल्स कांफ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन का करीबी माना जाता है. नूर मोहम्मद नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकर्ता हैं. अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए जाने से पहले नूर मोहम्मद एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर शांति बनाए रखने एवं अच्छे व्यवहार का वादा करेंगे.
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राजभवन में हुई उच्चस्तरीय बैठक में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के दौरान बताया गया कि पिछले छह सप्ताह में ही घाटी के ज्यादातर इलाकों से पाबंदियां हटा ली गई हैं. बैठक में यह भी बताया गया कि हायर सेकेंडरी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खोल दिए गए हैं. गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के घाटी में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए कई पाबंदिया लगाई गईं थी. मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया था. नेताओं, अलगाववादियों, कार्यकर्ताओंसमेत कई लोगों को हिरासत में लिया गया था.
(इनपुट भाषा से भी)