Chandrayaan-3 की सफलता के बाद Aditya L-1 है ISRO का अगला मिशन, श्रीहरिकोटा में चल रही है तैयारी
ISRO chief S Somanath | ANI

Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है. यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है. वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले लाई. अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है. चंद्रयान-3 की सफलता पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने (ISRO chief S Somanath) कहा, 'पीएम मोदी ने हम सभी को बधाई दी और कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से आकर हममें से प्रत्येक को बधाई देना चाहेंगे. इसरो का अगला मिशन आदित्य एल-1 (Aditya L-1) मिशन है जो श्रीहरिकोटा में तैयार हो रहा है. कैसे चांद पर उतरा चंद्रयान-3, चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर के क्रैश होने का था डर.

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर अपनी टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा, "समर्थन के लिए आप सभी को धन्यवाद...हमने अपनी असफलता से बहुत कुछ सीखा और आज हम सफल हुए. हम चंद्रयान-3 के लिए अब से अगले 14 दिनों का इंतजार कर रहे हैं."

इसरो कर रहा अगले मिशन की तैयारी

चांद पर भारत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस लैंडर मॉड्यूल की ‘सॉफ्ट लैंडिग’ कराने में सफलता हासिल की. भारतीय समयानुसार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ.

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘हमने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हसिल कर ली है. भारत चांद पर है.’’ यह एक ऐसी सफलता है जिसे न केवल इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक, बल्कि भारत का हर आम और खास आदमी टीवी की स्क्रीन पर टकटकी बांधे देख रहा था. यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में रूस का ‘लूना 25’ चांद पर उतरने की कोशिश करते समय दुर्घटना का शिकार हो गया था.

भारत ने रचा इतिहास

इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह को चूमकर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नयी इबारत रची. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस अभियान के अंतिम चरण में सारी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित योजनाओं के अनुरूप ठीक से चलीं.

चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हासिल कर भारत ऐसी उपलब्धि प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन के नाम ही यह रिकॉर्ड था, लेकिन ये देश भी अब तक चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर विजय प्राप्त नहीं कर पाए हैं. हालांकि, भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यह साहसिक कारनामा सफलतापूर्वक कर दिखाया है.