हीलियम लीकेज की वजह से रुका चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, अब सितंबर तक करना होगा लॉन्चिंग का इंतजार
हीलियम लीकेज होने के कारण भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (इसरो) को चंद्रयान-2 की उड़ान रोकनी पड़ी. चंद्रयान-2 को सोमवार तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर उड़ान भरती थी, लेकिन लॉन्चिंग से 56 मिनट पहले लीकेज के कारण मिशन रोक दिया गया.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 15 जुलाई को अपने मिशन मून (Mission Moon) की लॉन्चिंग को तय समय सुबह 2:51 से 56.24 मिनट पहले रोक दिया. इसरो की तरफ से उस समय बताया गया कि तकनीकी खामी की वजह से मिशन को रोका जा रहा है. अब एक ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि जीएसएलव एमके-3 के क्रायोजेनिक इंजन (Cryogenic Engine) में हीलियम लीकेज होने के कारण इसरो (ISRO)को चंद्रयान-2 की उड़ान रोकनी पड़ी. चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) को सोमवार तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर उड़ान भरती थी, लेकिन लॉन्चिंग से 56 मिनट पहले लीकेज के कारण मिशन रोक दिया गया.
इसरो (ISRO) के पांच सूत्रों ने आधिकारिक पुष्टि करते हुए कहा कि क्रायोजेनिक इंजन में हीलियम लीकेज के कारण चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को रोकना पड़ा. हालांकि इसरो ने उसी वक्त बयान जारी करते हुए कहा था, 'चंद्रयान-2 में कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते मिशन को यहीं रोकने का फैसला किया है. जल्द ही लांन्च की नई तारीख की घोषणा की जाएगी. यह तारीख सितंबर महीने की हो सकती है.
तेजी से गिर रहा था हीलियम प्रेशर
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, 'इंजन में लिक्विड ऑक्सिजन (Oxidizer) और लिक्विड हाइड्रोजन (ईंधन) भरने के बाद काम चल रहा था. इस प्रक्रिया में 350 बार तक हीलियम भरनी थी और आउटपुट को 50 बार सेट करना था, लेकिन तभी हीलियम का प्रेशर तेजी से कम होने लगा. जो लीकेज की ओर इशारा कर रहा था. अब टीम गैस बॉटल में हुए लीकेज पता लगाने में जुटी है. इसमें कई लीक हो सकते हैं.' वैज्ञानिक ने बताया बॉटल में हीलियम का प्रेशर लेवल बन नहीं रहा था. यह 330 प्वाइंट से घटकर 300, फिर 280 और अंत में 160 तक पहुंच गया था. इसलिए लॉन्च को रोकना पड़ा.
हीलियम लीकेज से ओवरशूट कर सकता था चंद्रयान-2
हीलियम क्रायोजेनिक इंजन में मौजूद लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को लॉन्च के बाद ठंडा रखता है. अगर चंद्रयान की लॉन्चिंग के दौरान हीलियम लीक हो जाता तो क्रायोजेनिक इंजन में मौजूद लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को ठंडा नहीं रखा जा सकता था. ऐसे में क्रायोजेनिक इंजन गर्म होकर विस्फोट हो सकता था. ऐसे में या तो चंद्रयान-2 ओवरशूट कर जाता. यानी तेज गति से अंतरिक्ष में चला जाता और इसका संपर्क इसरो से टूट जाता या विस्फोट से चंद्रयान-2 खत्म हो जाता.
बता दें कि इससे पहले 22 जून को ग्राउंड टेस्ट के दौरान भी ऑक्सिजन टैंक में लीकेज समस्या सामने आई थी. हालांकि बाद में इसे ठीक कर लिया गया. जिसके बाद इसरो ने लॉन्चिंग के लिए 15 जुलाई की तारीख फिक्स की थी. रिपोर्ट के मुताबिक इसरो जल्द ही इस तकनीकी समस्या को दूर करेगा इसके बाद अगली बेस्ट लॉन्चिंग की डेट सितंबर के आसपास हो सकती है.