टिड्डी दल का आक्रमण: टिड्डियों से जुड़ी ये बातें शायद ही जानते होंगे आप, एक बार जरुर पढ़ें

पाकिस्तान से आए टिड्डी दल भारत के लिए नया संकट बन रहे है. अब तक राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश में टिड्डियों ने फसलों को जमकर नुकसान पहुंचाया है और बर्बादी का यह सिलसिला लगातार जारी है.

टिड्डी (Photo Credits: AFP)

नई दिल्ली: पाकिस्तान (Pakistan) से आए टिड्डी दल (Tiddi Dal) भारत के लिए नया संकट बन रहे है. अब तक राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश में टिड्डियों (Locust) ने फसलों को जमकर नुकसान पहुंचाया है और बर्बादी का यह सिलसिला लगातार जारी है. कोरोना महामारी के बीच टिड्डों के आतंक से किसानों की चिंता बढ़ती चली जा रही है. अमूमन टिड्डी दल जून से नवंबर तक भारत के सीमावर्ती इलाकों में सक्रीय रहते है. हालांकि इस साल पहली बार देश में टिड्डियों ने 11 अप्रैल को ही घुसपैठ की.

हर साल पाकिस्तान में तबाही मचाने के बाद टिड्डी दल भारत के निकटवर्ती राज्यों का रुख करते है. हालांकि टिड्डियों का पनपना पूरी तरह से प्राकृति से जुड़ी घटना है. रोचक पहलू यह है कि इनकी संख्या और प्रकोप का क्षेत्र, मौसम और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है. दुनिया में टिड्डियों की 10 महत्वपूर्ण प्रजातियाँ - डेजर्ट टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी, माइग्रेटरी टिड्डी, इटैलियन टिड्डी, मोरक्कन टिड्डी, रेड टिड्डी, ब्राउन टिड्डी, साउथ अमेरिकन टिड्डी, ऑस्ट्रेलियन टिड्डी, ट्री टिड्डी हैं. हालांकि भारत में केवल चार प्रकार के टिड्डे- डेजर्ट टिड्डे (Schistocerca gregaria), माइग्रेटरी टिड्डे (Locusta migratoria), बॉम्बे टिड्डे (Nomadacris succincta) और ट्री टिड्डे (Anacridium sp) पाए जाते है. Locust Attack: देश में ऐसे होता है टिड्डी दल का हमला, 24 घंटे में 35 हजार लोगों का भोजन कर सकते है चट

रेगिस्तानी टिड्डा (Desert Locust) भारत के साथ-साथ अंतरमहाद्वीपीय संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण कीट है. टिड्डियों के लिए तीन प्रजनन सीजन होते हैं. पहला शीतकालीन (नवंबर से दिसंबर) दूसरा वसंत (जनवरी से जून) और तीसरा ग्रीष्मकालीन (जुलाई से अक्टूबर) है. हालांकि भारत के लिए केवल ग्रीष्मकालीन प्रजनन वाले टिड्डे समस्या का कारण बनते है.

दुनिया के लगभग 30 मिलियन वर्ग किमी में रेगिस्तानी टिड्डो का आतंक है. जिसमें लगभग 64 देशों के पूरे या कुछ हिस्से शामिल हैं. इसमें उत्तर पश्चिम और पूर्वी अफ्रीकी देश, अरब प्रायद्वीप, तत्कालीन यूएसएसआर (USSR) के दक्षिणी गणराज्य, ईरान, अफगानिस्तान, भारतीय उप-महाद्वीप जैसे देश शामिल हैं. टिड्डी दल का आक्रमण: दिल्ली पर मंडराया खतरा, राजस्‍थान से आ सकती है आफत, अलर्ट पर प्रशासन

टिड्डी दल लाखों-करोड़ों की संख्या में सफर करते है और इनमें एक ही रात में पूरी फसल को चट कर देने की क्षमता होती है. एक वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करने वाला टिड्डियों का झुंड एक दिन में 35,000 लोगों का भोजन खा सकता है.

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