राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के तहत दुनिया जानेगी 'शिवरीनारायण' की महिमा

छत्तीसगढ़ का शिवरी नारायण का मर्यादा पुरुषोत्तम राम से गहरा नाता है. इसे पांचवां धाम तो माना ही जाता है, साथ ही गुप्त तीर्थ भी कहा जाता है. यह वही स्थान है जहां वनवास काल में राम ने शबरी के हाथों से जूठे बेर खाए थे. अब इस स्थान को दुनिया से रुबरु कराने की मुहिम गति पकड़ रही है.

Shivri Narayan

रायपुर, 10 अप्रैल : छत्तीसगढ़ का शिवरी नारायण (Shivri Narayan) का मर्यादा पुरुषोत्तम राम से गहरा नाता है. इसे पांचवां धाम तो माना ही जाता है, साथ ही गुप्त तीर्थ भी कहा जाता है. यह वही स्थान है जहां वनवास काल में राम ने शबरी के हाथों से जूठे बेर खाए थे. अब इस स्थान को दुनिया से रुबरु कराने की मुहिम गति पकड़ रही है. छत्तीसगढ़ के साथ भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को सहेजते हुए यहां की संस्कृति को विश्व स्तर पर नयी पहचान दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना शुरू की है. पहले चरण में विकास के लिए चुने गये नौ में से दो स्थानों में पर्यटन सुविधाओं के विकास तथा सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो गया है.

महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम तट पर बसे शिवरीनारायण नगर में 11 शताब्दी में मंदिर बनाया गया था. यहां पर छठी शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी तक की प्रतिमाएं स्थापित हैं. शिवरीनारायण का महत्व रामायणकालीन होने की वजह से यह नगर श्रद्धालुओं के लिए भी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. शिवरीनारायण में लगभग 11वीं शताब्दी का मंदिर भगवान राम और लक्ष्मण की आस्था का बड़ा केंद्र है. इसीलिए इसको बड़ा मंदिर भी कहते हैं. नवरात्रि और रामनवमीं जैसे त्यौहारों में श्रद्धालुओं को किसी तरह की तकलीफ ना हो इसके लिए मंदिर परिसर का उन्नयन किया गया है. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के आराम करने के लिए भवन निर्माण किया गया है. इसके साथ ही नव निर्मित भवनों को भगवान राम की आस्था के अनुसार रंग में रंगा गया है. यह भी पढ़ें : मुंबई: लाउडस्पीकर पर ‘हनुमान चालीसा’ बजाने पर मनसे के चार कार्यकर्ता हिरासत में लिये गए

शिवरीनारायण नगर का अस्तित्व हर युग में रहा है. यह नगर मतंग ऋषि का गुरूकुल आश्रम और माता शबरी की साधना स्थली भी रही है. यह छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी धाम के नाम से विख्यात है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रभु राम ने शबरी के जूठे बेर यहीं खाये थे और उन्हें मोक्ष प्रदान किया था. इन सारी बातों को जीवंत रूप देने के लिए मंदिर परिसर के बाहर रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया है. इंटरप्रिटेशन सेंटर के बाद स्थित दो वृक्षों के बीच में भगवान राम को जूठे बेर खिलाती हुयी माता शबरी की प्रतिमा स्थापित की गयी है जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनने जा रही है.

Share Now

\