RBI Tightens Norms: रिजर्व बैंक ने AIF में बैंकों, NBFC के निवेश के लिए नियम कड़े किए, जानें क्या होगा इसका असर

आरबीआई की अधिसूचना में कहा गया है कि बैंकों और एनबीएफसी की लेनदार कंपनी का मतलब ऐसी किसी भी कंपनी से है, जिसके पास वर्तमान में या पिछले 12 महीनों के दौरान कभी भी ऋण या निवेश जोखिम है.

Reserve Bank of India. (File Photo)

मुंबई, 19 दिसंबर: आरबीआई ने मंगलवार को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) को वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) की किसी भी योजना में निवेश करने से रोक दिया है, जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों या एनबीएफसी का किसी लेनदार कंपनी में निवेश है.

आरबीआई की अधिसूचना में कहा गया है कि बैंकों और एनबीएफसी की लेनदार कंपनी का मतलब ऐसी किसी भी कंपनी से है, जिसके पास वर्तमान में या पिछले 12 महीनों के दौरान कभी भी ऋण या निवेश जोखिम है. 2022-2023 में 2,921 दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं पाई गईं, 422 की पहचान नकली दवा के रूप में हुई: सरकार

ये नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं. ये नियम इसलिए जारी किए गए हैं क्योंकि एआईएफ बैड लोन को छिपाते हैं. आरबीआई ने बताया कि एआईएफ से जुड़े बैंक और एनबीएफसी के कुछ लेनदेन नियामक चिंताओं को बढ़ाते हैं.

आरबीआई ने कहा कि ऋणदाताओं को एआईएफ में अपने निवेश को 30 दिनों के भीतर समाप्त करना होगा.

आरबीआई ने कहा कि यदि विनियमित इकाई, जैसे बैंक और एनबीएफसी ऐसा करने में असमर्थ है, तो उन्हें इन निवेशों पर 100 प्रतिशत प्रावधान करने की आवश्यकता होगी.

साथ में कहा गया है कि जहां एक विनियमित इकाई ने किसी फंड की अधीनस्थ इकाइयों में निवेश किया है जो 'प्राथमिकता वितरण' मॉडल का पालन करती है, निवेश इकाई की पूंजी से पूर्ण कटौती के अधीन होगा.

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