RBI Tokenization: आज से बदल जाएगा ऑनलाइन पेमेंट का तरीका, क्रेडिट-डेबिट कार्ड को टोकन बनाना जरूरी; जानें कंप्लीट प्रोसेस

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) और डेबिट कार्ड (Debit Card) का इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए जरूरी खबर है. रिजर्व बैंक ने ग्राहकों की जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए ऑनलाइन लेनदेन में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल के नियमों में बदलाव किया है.

Representative Image (Photo: Pixabay)

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) और डेबिट कार्ड (Debit Card) का इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए जरूरी खबर है. रिजर्व बैंक ने ग्राहकों की जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए ऑनलाइन लेनदेन में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल के नियमों में बदलाव किया है. 1 अक्टूबर यानि आज से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन (CoF Card Tokenisation) नियम अमल में आने वाला है. यह नया नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा. नियमों के मुताबिक हर ट्रांजैक्शन के लिए कोड या टोकन नंबर अलग होगा और पेमेंट के लिए आपको इस कोड या टोकन नंबर को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के साथ शेयर करना होगा. Aadhaar Card Fraud: क्या आप भी पब्लिक कंप्यूटर पर डाउनलोड करते हैं ई-आधार? हो जाएं सावधान; UIDAI ने जारी की चेतावनी.

रिजर्व बैंक का कहना है कि टोकनाइजेशन सिस्टम के बाद कार्ड होल्डर्स के पेमेंट का अनुभव बेहतर होगा और डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड के ट्रांजेक्शन पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित हो जाएंगे. ग्राहकों को इस सेवा का लाभ उठाने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा.

लोगों को बैंकों की ओर से कार्ड के टोकनाइजेशन के लिए मैसेज भी आने लगे हैं. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर यह कार्ड टोकनाइजेशन क्या है, कार्ड टोकनाइजेशन की प्रक्रिया क्या है. यहां हम आपके इन्हीं सवालों का जवाब देने वाले हैं...

क्रेडिट और डेबिट कार्ड को टोकन में ऐसे बदलें

टोकनाइजेशन से आएगी फ्रॉड में कमी

रिजर्व बैंक का मानना है कि कार्ड के बदले टोकन से पेमेंट की व्यवस्था लागू होने से फ्रॉड के मामले कम होंगे. रिजर्व बैंक का कहना है कि अभी ई-कॉमर्स वेबसाइट, मर्चेंट स्टोर और ऐप आदि ग्राहकों के डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने के बाद कार्ड के डिटेल्स स्टोर कर लेते हैं. कई मामलों में मर्चेंट्स ग्राहकों के सामने कार्ड डिटेल्स स्टोर करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ते हैं. ये डिटेल्स लीक हो जाने से ग्राहकों के साथ फ्रॉड होने की आशंका बनी रहती है.

नई व्यवस्था से फ्रॉड के ऐसे मामलों में कमी आने का अनुमान है. टोकनाइजेशन से कहीं भी आपके कार्ड का कोई भी डेटा कार्ड नंबर, एक्सपाइरी डेट, सीवी नंबर आदि स्टोर नहीं होगा, तो इनके लीक होने की गुंजाइश भी समाप्त हो जाएगी और आप निश्चित तौर पर पहले से अधिक सुरक्षित हो जाएंगे.

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